कश्मीरियों के मानवाधिकार की बात करने पर पाकिस्तान को शर्म आनी चाहिए : संयुक्त राष्ट्र में बलोच

अमेरिका से संचालित होने वाले बलोच नेशनल मूवमेंट से जुड़े नबी बख्श ने भी बलोच मुद्दे को हल करने में पाकिस्तान द्वारा बरते जा रहे दोगलेपन के लिए उसकी कड़ी आलोचना की.

कश्मीरियों के मानवाधिकार की बात करने पर पाकिस्तान को शर्म आनी चाहिए : संयुक्त राष्ट्र में बलोच

बलोच मानवाधिकार परिषद और पश्तूनों ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक स्थल के बाहर बैनर दिखाए.

खास बातें

  • बलोच कार्यकर्ताओं ने दिया ज़ोरदार झटका
  • संयुक्त राष्ट्र की बैठक स्थल के बाहर बैनर दिखाए
  • बलोच आंदोलनकारियों ने टैन्ट लगा लिया
नई दिल्ली:

जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे पर जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत को अलग-थलग करने की पाकिस्तान की कोशिशों को बलोच कार्यकर्ताओं ने ज़ोरदार झटका दिया है, और उन अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई है, जो पाकिस्तान की सेना अपने ही घर में बलोचिस्तान में रहने वालों पर कर रही है.

बलोच मानवाधिकार परिषद और पश्तूनों ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक स्थल के बाहर बैनर दिखाए, ताकि सारी दुनिया का ध्यान 'पाकिस्तानी अत्याचार' की तरफ आकर्षित किया जा सके.

पाकिस्तान से आज़ादी की मांग करने वाले बलोच आंदोलन के संयोजक रज़्ज़ाक बलोच ने कहा, "पाकिस्तान सभ्य मुल्क नहीं है और उन्हें कश्मीरियों के मानवाधिकारों के बारे में बात करते हुए शर्म आनी चाहिए, खासतौर से उन अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए, जो वे बलोचिस्तान, सिंध और पाक-अधिकृत कश्मीर में कर रहे हैं..."

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जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर बलोच आंदोलनकारियों ने टैन्ट लगा लिया, और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाज़ी की. रज़्ज़ाक बलोच ने कहा कि इस इलाके पर पाकिस्तानी सेना ने कब्ज़ा कर रखा है, और बलोचिस्तान के लोग संप्रभुता से कम पर समझौता नहीं करेंगे.

अमेरिका से संचालित होने वाले बलोच नेशनल मूवमेंट से जुड़े नबी बख्श ने भी बलोच मुद्दे को हल करने में पाकिस्तान द्वारा बरते जा रहे दोगलेपन के लिए उसकी कड़ी आलोचना की. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, नबी बख्श ने कहा, "जब तक पाकिस्तान हमारे इलाके में टिका रहेगा, बलोचिस्तान में कभी अमन नहीं हो सकता... शाह महमूद कुरैशी (पाकिस्तान के विदेशमंत्री) यह कभी नहीं बताएंगे कि पाकिस्तान वहां (बलोचिस्तान में) किस तरह के अत्याचार कर रहा है... इसी वजह से हम यहां आए हैं... हमारी बात कौन सुनेगा, अगर हम सामने आकर अपनी बात नहीं कहेंगे..."

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बलोचिस्तान के लोगों का दावा है कि वे हमेशा से एक मुल्क थे, और उनका अस्तित्व पाकिस्तान के बनने से पहले से ही है.

जिनेवा में UNHRC के दौरान मंगलवार को भारत ने कहा था कि पाकिस्तान को कश्मीर के बारे में बोलने का कोई हक नहीं है, और 'झूठी कहानियों के साथ दिए गए बयानों' का उद्देश्य इस मंच का भी राजनीतिकरण कर देना है.

भारत ने पाकिस्तान के विदेशमंत्री द्वारा जम्मू एवं कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों तथा भविष्य में 'नरसंहार' की आशंकाओं के दावों को भी खारिज कर दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी विमर्श आर्यन ने कहा, "पाकिस्तान को यह एहसास हो गया है कि हमारे फैसले (अनुच्छेद 370 में संशोधन) ने उनके पैरों तले ज़मीन निकाल दी है, क्योंकि इससे सीमापार से लगातार आतंकवाद को प्रायोजित किए जाने के रास्ते में अड़चनें पैदा हो गई हैं..."

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बलोच मूवमेंट के संयोजक ने कहा कि लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना दिए जाने का भारत का कदम 'चीन के प्रभाव को रोकने की दिशा में सकारात्मक कदम' है. रज़्ज़ाक बलोच ने कहा, "चीन इस अपराध में पाकिस्तान का साझीदार है... वह हमारा सोना और संपत्ति को लूट रहा है... बलोचिस्तान में हो रहा सोने का पूरा खनन चीनी कंपनियां ही कर रही हैं... वे बलोचिस्तान से निकाले गए सोने की वजह से रईस हो गई हैं... पाकिस्तान की सेना के अधिकारी भी इससे हुए फायदे में हिस्सेदार हैं, और उन्होंने बलोचिस्तान के पैसे को स्विस बैंकों में रख दिया है..."

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