बैंकों का एक लाख करोड़ से ज्यादा 'घोटाले' की भेंट चढ़ा, 4 साल में 19 हजार मामले दर्ज

विजय माल्या और नीरव मोदी ही नहीं और भी तमाम घोटालेबाजों ने बैंकों को लगाया चूना. पिछले 4 साल में बैकिंग घोटाले की 19 हजार घटनाएं हुईं ,जिसमें 1 लाख करोड़ से ज्यादा का पैसा पार हुआ.

बैंकों का एक लाख करोड़ से ज्यादा 'घोटाले' की भेंट चढ़ा,  4 साल में 19 हजार मामले दर्ज

संसद की फाइल फोटो.

नई दिल्ली:

देश के बैंको में जमा आम जनता की गाढ़ी कमाई क्या लुट रही है? लगातार बढ़ती बैकिंग धोखाधड़ी की घटनाओं से यह सवाल खडा हो रहा है. खुद सरकार ने संसद में यह स्वीकार किया है कि पिछले चार साल के भीतर बैकिंग घोटाले के 19 हजार से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. जिसमें एक लाख करोड़ से अधिक की धनराशि धोखाधड़ी की भेंट चढ़ गई.अगर धनराशि का हिसाब-किताब देखें तो विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे भगोड़े की ओर से डकारी गई धनराशि का यह कई गुना है. दरअसल एक लाख रुपये से अधिक की धनराशि से जुड़ी हर धोखाधड़ी की रिपोर्ट बैंकों को केंद्रीय रिजर्व बैंक को देनी होती है. इस लिहाज से देश में हुई छोटी से लेकर बड़ी धोखाधडी  के आधार पर ये आंकड़े रिजर्व बैंक ने जारी किए हैं. दरअसल, संसद के मौजूदा समय चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान  गुजरात में वडोदरा से बीजेपी सांसद रंजनबेन पटेल ने सरकार से लिखित में यह बताने को कहा था कि देश में बैकिंग घोटाले से जुड़े कितने मामले अब तक आए, कितनी धनराशि इसमें शामिल रही और सरकार ने अब तक क्या किया? इस पर सरकार ने 14 दिसंबर को 918 वें नंबर के सवाल पर लिखित में यह जवाब दिया है.

बैंकिंग धोखाधड़ी के आंकडे़
बैकिंग धोखाधड़ी को लेकर संसद में सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले चार वर्षों में कुल 19102 शिकायतें मिलीं, जिसमें 1 लाख 14 हजार 221 करोड़ रुपये की धनराशि शामिल है.2015-16 में कुल 4693 केस दर्ज हुए. जिसमें 18699 करोड़ रुपये की धनराशि धोखेबाजी की भेंट चढ़ी. इसी तरह 2016-17 में 5076 मामलों में 23,934 करोड़ की धोखाधडी, जबकि 2018-19 में 30 सितंबर तक 3,416 मामलों में 30,420 करोड़ रुपये धोखेबाजी की भेंट चढ़ी.

धोखाधड़ी रोकने के लिए क्या हुए उपाय ? 
देश में बैकिंग फ्रॉड के मामलों की रोकथाम के लिए सरकार क्या कर रही है? इस सवाल का केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने जो जवाब दिया है, उसके मुताबिक आरबीआई की ओर से सभी बैंकों के लिए एक सर्चेबल ऑनलाइन केंद्रीयकॉत डेटाबेस तैयार किया गया है. इसे केंद्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री(सीएफआर) कहते हैं. इसके जरिए बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थाओं की ओर से दर्ज धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी की जा ती है. इसके अलावा राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण की स्थापना पर भी काम शुरू हुआ है. अधिक धनराशि वाले बैंक खातों की भी ऑडिट
 होने की व्यवस्था है. यही नहीं 50 करोड़ से अधिक की हैसियत वाले निष्क्रिय पड़े बैंक खातों में धोखाधड़ी की आशंका ज्यादा होती है, ऐसे में इस तरह के खातों की खास निगरानी करने का आरबीआई ने संबंधित बैंकों को निर्देश दिया है.

सरकार ने कहा- कई मामले पुराने, मगर सूचना अब मिली
केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट करते हुए कहा कि  पिछले चार वर्षों में जितने भी बैकिंग घोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए हैं, जरूरी नहीं कि वे सभी मामले हाल रिपोर्टिंग के समय के ही हों. इसमें कई मामले पिछली सरकारों के दौरान के हैं, हालांकि उनका खुलासा या सूचना अब जाकर मिली. उदाहरण के तौर पर पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस शाखा में हुई धोखाधड़ी का खुलासा फरवरी 2018 में हुआ, जबकि यह फ्रॉड 2011 से जारी था. बता दें कि पीएनबी की  ब्रैडी हाउस शाखा  से ही नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने 13000 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया था.वहीं इस शाखा से एक लोन रैकेट का भई खुलासा हो चुका है. जिसमें अधिकारी समेत 4 व्यक्ति गिरफ्तार हुए थे.पुलिस के अनुसार  दिल्ली के कनॉट प्लेस में  एफ बार एंड लाउंज खोलने के लिए पीएनबी अफसरों की सांठगांठ से साढ़े सात करोड़ रुपये का लोन मंजूर कराया गया.

 


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