बेअंत सिंह हत्याकांड : राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने के लिए SC ने केंद्र को दिए और 6 हफ्ते

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का दोषी बलवंत सिंह राजोआना 25 सालों से जेल में है. उसने खुद कोई अपील दाखिल नहीं की है, लेकिन दूसरों ने उसके लिए दया याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है.

बेअंत सिंह हत्याकांड : राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने के लिए SC ने केंद्र को दिए और 6 हफ्ते

सुप्रीम कोर्ट में बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की याचिका पर सुनवाई.

नई दिल्ली:

बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है, जिसके बाद कोर्ट ने राजोआना की दया याचिका पर फैसला करने के लिए छह हफ्ते का वक्त दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे को छह हफ्ते तक टालने का आग्रह किया था. एसजी ने कहा कि राजोआना पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का हत्यारा है और खालिस्तान के मुद्दे पर दोषी ने उनकी हत्या की थी. 

केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे मेहता ने बताया कि 'प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. राष्ट्रपति को इस याचिका पर फैसला लेना है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कब तक फैसला लेंगे इस पर कुछ वादा नहीं कर सकते. मामले को 6 हफ्ते टाला जाए क्योंकि अभी राष्ट्रपति के फैसले का इंतजार करना चाहिए.' प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि सरकार अपने हिसाब से वक्त बता सकती है लेकिन राष्ट्रपति के फैसला लेने के लिए समय दिया जाना चाहिए. 

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आखिरी मौका दिया था कि वो दो हफ्ते में राजोआना की दया याचिका पर फैसला करे. इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार बलवंत सिंह राजोआना की अर्जी पर 26 जनवरी तक फैसला करे जिसमें उसने सजा कम करने का अनुरोध किया है.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या के दोष में जेल में है राजोआना

बलवंत सिंह करीब 25 साल से जेल में है. साल 1995 में चंडीगढ़ स्थित सचिवालय के सामने हुए बम धमाकों में बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की मौत हो गई थी. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री (CM) बेअंत सिंह की हत्या के लिए राजोआना को मौत की सजा सुनाई गई थी. राजोआना ने सजा और सजा के खिलाफ अपील नहीं की है. वो पिछले 25 सालों से जेल में है. दूसरों ने उसकी ओर से दया याचिका दायर की. 

CJI ने कहा कि अन्य सह अभियुक्तों द्वारा लंबित अपील का केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसले से कोई प्रासंगिकता नहीं है कि गुरु नानक की 550 वीं जयंती के उपलक्ष्य में कुछ दोषियों की मौत की सजा कम करने का फैसला किया जाए. 

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सितंबर 2019 में गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र लिखा था कि गुरु नायक देव जी की 550 वीं जयंती के अवसर पर, कुछ कैदियों की रिहाई प्रस्तावित है. राजोआना ने कोई अपील भी नहीं की है, ऐसे में उसका कोई मामला अदालत में लंबित नहीं है. एक बार जब सरकार ने दोषी व्यक्ति की माफी लिए राष्ट्रपति को सिफारिश करने का फैसला किया है, तो उसके सह-अभियुक्तों के सुप्रीम कोर्ट में अपील के लंबित रहना अनुच्छेद 72 के तहत शुरू की गई प्रक्रिया में देरी नहीं कर सकता.