युवा होना कोरोना से बचने की गारंटी नहीं, 20 से 40 साल के मरीज 34 प्रतिशत बढ़े

Coronavirus: युवा कोरोना वायरस के लक्षणों के बावजूद टेस्टिंग नहीं करवा रहे, खुद दवा ले रहे हैं और फिर बुरी हालत में अस्पताल आ रहे, मुंबई के अस्पतालों के ICU में 30 से 35 प्रतिशत युवा मरीज़

युवा होना कोरोना से बचने की गारंटी नहीं, 20 से 40 साल के मरीज 34 प्रतिशत बढ़े

प्रतीकात्मक फोटो.

मुंबई:

Mumbai Coronavirus: शायद युवाओं को लगता है कि कोविड-19 (Covid-19) से सिर्फ़ बुजुर्गों को डरना चाहिए, उन्हें नहीं. लेकिन मुंबई (Mumbai) के कई अस्पतालों के ICU में करीब 30 प्रतिशत युवा मरीज़ दिख रहे हैं. इनके मामलों में बीते महीने 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. अस्पताल कहते हैं कि लक्षण के बावजूद युवा टेस्टिंग नहीं कराते, खुद दवा लेते हैं और फिर गंभीर हालत में अस्पताल आते हैं. अस्पतालों में युवा कोविड मरीज़ों की क़तार लग रही है.

एक 32 साल के युवा कोविड पॉज़िटिव हो गए हैं. उनमें लक्षण दिखे लेकिन उन्होंने आम बुख़ार समझकर ख़ुद दवा ली और हालत बिगड़ने के बाद उन्हें बीएमसी के BKC जंबो फ़ैसिलिटी में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने की नौबत आ गई. उन्होंने बताया कि ''मुझे 22 सितम्बर को लक्षण थे. सर दर्द कर रहा था, हल्का बुख़ार था. मुझे लगा नॉर्मल फ़्लू है क्योंकि पहले भी 3-4 बार हो चुका है. इस बीच मैं पैरासिटामॉल और फ़्लू की गोलियां ले रहा था. तीन चार दिन मैंने नॉर्मल गोलियां खाईं तो फ़र्क़ नहीं पड़ा. फिर टेस्ट करवाया, पॉज़िटिव आया. मुझे कुछ गोलियां दीं, फिर यहाँ एडमिट हुआ.''

कोरोना के एक अन्य मरीज 35 साल के हैं. उन्होंने भी लक्षण दिखने पर ख़ुद दवा ली. तबियत बिगड़ी तो अस्पताल में आना पड़ा. वे भी ऑक्सीजन बेड पर हैं. उन्होंने बताया कि ''कुछ खास नहीं था, नॉर्मल सा बॉडी पेन था. मुझे लगा ठीक हो जाएगा. फिर यहां भर्ती हुआ. पहले नॉर्मल दवा ली थी फिर स्कैन करवाया.'' 

ऑक्सीजन सपोर्ट पर ऐसे ही एक और 30 साल के युवा पांच दिनों तक लक्षण दिखने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए हैं. बीकेसी जंबो फैसिलिटी के डॉक्टर गणेश ने कहा कि ''ये पेशेंट यहां कल रात एडमिट हुआ है. इनको पांच दिनों से कफ़ था और सांस लेने में तकलीफ़ थी. अभी पेशेंट स्टेबल है.''

मुंबई में युवा झुंड में बिना मास्क के दिख जाते हैं. अब मुंबई के अस्पतालों में युवा मरीज़ों की संख्या न सिर्फ़ बढ़ रही है बल्कि वे अपने लक्षण को नज़रंदाज़ कर काफ़ी देरी से टेस्टिंग करवा रहे हैं. वे बिना डॉक्टर की सलाह के ख़ुद दवा खा रहे हैं. नतीजा कइयों को सीधे ICU में भर्ती होना पड़ रहा है. बीएमसी के BKC जंबो फ़ैसिलिटी के ICU में 25% तो बॉम्बे हॉस्पिटल में 30% और फ़ोर्टिस में 16% मरीज़ 40 साल के नीचे के हैं.

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बीएमसी के बीकेसी जंबो कोविड फ़ैसिलिटी के डीन डॉ राजेश डेरे ने कहा कि ''काफ़ी दिनों से ये देख रहे हैं, यंग एज के मरीज़ हैं, मेल, फ़ीमेल दोनों हैं. वे कुछ दिन तक पॉज़िटिव होने या सिम्प्टम के बाद भी घर पर रहते हैं. सेल्फ़ मेडिकेशन कर रहे हैं और अचानक कुछ दिनों के बाद हॉस्पिटल आते हैं. जब हमारे डॉक्टर उनको इग्ज़ामिन करते हैं तो देखा जाता है कि वे माइल्ड से मॉडरेट स्टेज में पहुंच चुके हैं. मॉडरेट से गम्भीरता बढ़ती है बीमारी की, इलाज का स्टे बढ़ता जाता है. उनमें से कुछ ICU में जाते हैं कुछ की मौत होती है.''

फोर्टिस के इंटेसिविस्ट डॉ राहुल पंडित ने बताया कि ''फ़ोर्टिस के ICU में 16 प्रतिशत युवा मरीज़ हैं. मैं ये देख रहा हूं कि उनके सिम्प्टम्स 7-8 दिन से होते हैं, उसके बाद वो हॉस्पिटल आते हैं. ये एक चीज़ है जो अलग दिख रही है युवा पीढ़ी में. जब इनको सिम्प्टम आता है तो क्रोसीन टैब वगेरह लेकर ये दिन निकालते हैं और जब रहा नहीं जाता है तब फिर अस्पताल आते हैं.''

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बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ गौतम भंसाली ने कहा कि ''हम करीब दो महीने से देख रहे हैं कि नौजवान काफ़ी संख्या में हॉस्पिटल आ रहे हैं. सबसे बड़ा कारण नोटिस किया कि वे लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं कर रहे या गलत भ्रांति है कि ये बीमारी सिर्फ़ बुजुर्गों को होगी.''

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मुंबई में हुई अब तक कुल मौतों में 4.76% मौत नौजवानों की हुई है. कुल मामलों में 31.15% मामले युवाओं के हैं. सिर्फ़ बीते महीने में ही युवाओं, यानी 20-40 साल के मामलों में 34% बढ़ोतरी दिखी.  डॉक्टर मानते हैं कि युवाओं की इम्युनिटी इन्हें कोविड से ज़्यादातर सुरक्षित ही रखती है बशर्ते वे सावधानी बरतें और लक्षण दिखते ही टेस्ट करवाएं, सही इलाज लें. नहीं तो ये वायरस कम उम्र वालों के लिए भी उतना ही घातक है जितना बुजुर्गों के लिए.