यह ख़बर 10 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बेस्ट बेकरी मामला : हाई कोर्ट के फैसले से सरकारी पक्ष हैरान

खास बातें

  • बेस्ट बेकरी मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 5 लोगों को सबूतों के आभाव में रिहा कर दिया लेकिन 4 लोगो की आजीवन कारावास की सजा को कायम रखी।
मुंबई से धर्मेन्द्र तिवारी:

बेस्ट बेकरी मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 5 लोगों को सबूतों के आभाव में रिहा कर दिया लेकिन 4 लोगो की आजीवन कारावास की सजा को कायम रखी।

हाई कोर्ट ने यह फैसला बेस्ट बेकरी में काम करने वाले 4 चश्मदीदों के आधार पर दिया लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट का आखिरी फैसला चौंकाने वाला था।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जहां बेकरी में काम करने वाले गवाहों को 3-3 लाख रुपये की सहायता राशि मुहैया करवाई वहीं यास्मीन शेख को भी 3 लाख रुपयों का हर्जाना देने को कहा। हाई कोर्ट ने कहा गुजरात सरकार यह पैसा 8 हफ्तों के भीतर हाई कोर्ट में जमा करवाए। हालांकि हाई कोर्ट के इस फैसले पर विशेष सरकारी वकील मंजुला राव ने हैरानी जाहिर की।

एनडीटीवी इंडिया से विशेष बातचीत करते हुए मंजुला राव ने कहा कि, "मैं हाई कोर्ट के इस फैसले से हैरान हूं। यास्मीन ने दावा किया था कि उसे गवाही के लिए पैसे दिए गए थे। इसका मतलब साफ़ है कि उसने अदालत में झूठ बोला।"

यास्मीन को दिए गए हर्जाने के बारे में राव ने कहा, "हम तो चाहते थे कि यास्मीन पर भी जाहिरा शेख की तरह गलत गवाही देने के आरोप में मुकदमा चले और उसे सजा हो लेकिन हाई कोर्ट ने उसे हर्जाना दे दिया।"

मंजुला राव ने कहा की हाई कोर्ट का फैसला पढ़ने के बाद ही यह सोचा जाएगा कि बरी किए गए 5 आरोपियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका देनी है या नहीं।

राव ने कहा की पुनर्विचार याचिका देने का आखिरी फैसला गुजरात सरकार का होगा।

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अपने फैसले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दंगों में पीड़ित गवाहों को विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम के तहत न सिर्फ मदद देने बल्कि उनके पुनर्वास के लिए भी काम करने की बात कही।