भारंगम 2017 : 'आखिर यह रंगमंच है किसका' का जवाब तलाशने जुटेंगे दुनियाभर के कलाकार

भारंगम 2017 : 'आखिर यह रंगमंच है किसका' का जवाब तलाशने जुटेंगे दुनियाभर के कलाकार

12 देश 16 राज्य से आए 94 नाटकों का महोत्सव 21 दिनों तक चलेगा

खास बातें

  • भारंगम के दौरान बहावलपुर हाउस एक महल के रूप में बदला जाएगा
  • भारंगम में पाकिस्तान और चीन के कलाकार नहीं ले रहे हैं हिस्सा
  • 25 नाटकों को वेबकास्ट होगा जिन्हें लोग ऑनलाइन देख सकेंगे
नई दिल्ली:

फरवरी का महीना पिछले दो वर्षों से रंगप्रेमियों और कलाप्रेमियों के लिए ख़ास हो गया है क्योंकि इसी महीने में भारत ही नहीं एशिया के सबसे बड़े भारत रंग महोत्सव (भारंगम) रंगमंच महोत्सव का आयोजन किया जाता है.

एक फरवरी को कावलाम नारायण पणिक्कर निर्देशित नाटक ‘उत्तररामचरित’ के मंचन के साथ उन्नीसवां भारत रंग महोत्सव (भारंगम) शुरु होकर 21 फरवरी को कलकत्ता क्वायर की प्रस्तुति से समापन होगा. 12 देश 16 राज्य से आए 94 नाटकों का महोत्सव 21 दिनों तक चलेगा. विदेश की प्रस्तुतियों में इस बार इजराइल, अफगानिस्तान, इटली, बांग्लादेश, श्रीलंका, यूके, तुर्की, ताजिकिस्तान, नेपाल और रूस की प्रस्तुतियां शामिल हैं. शास्त्रीय और पारंपरिक रंगमंच के साथ भारतीय रंगमंच की विविध आधुनिक अभिव्यक्तियों को भी यह महोत्सव मंच प्रदान करेगा.

क्या है ख़ास
भारंगम ने दिवंगत निर्देशकों प्रेम मटियानी, कन्हाईलाल और कावालम नारायण पणिक्कर को उन्हीं की प्रस्तुतियों का मंचन कर उनको श्रद्धांजलि दे रहा है. संस्कृत नाटकों की चर्चित प्रस्तुतियां जो आधुनिक भारतीय रंगमंच की उपलब्धि रही हैं, को देखने का अवसर यह भारंगम दे रहा है.

भास के नाटकों  ‘मध्यमव्यायोग’ और ‘उरुभंगम’ की क्रमशः पणिक्कर और रतन थियम निर्देशित प्रस्तुति आधुनिक भारतीय रंगमच में मील का पत्थर हैं. सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ निर्देशित ‘भगवद्द्जुकियम’ और संजय उपाध्याय निर्देशित नाटक ‘आनंदरघुनंदन’को भी बेहतर प्रस्तुतियों में शुमार किया जाता है.  ‘मध्ययमव्यायोग’ की ‘मोहे पिया’ के नाम से रानावि के निर्देशक वामन केंद्रे निर्देशित प्रस्तुति भी इसी भारंगम में दर्शक देख सकेंगे. रानावि रंगमंडल की प्रस्तुति ‘लागी लगन’  भारंगम का हिस्सा है. वामन केंद्रे  ने इसका निर्देशन किया है.

पारम्परिक प्रस्तुतियों में लोक में मोगल तमाशा, दशावतार, ताल मद्दले, रामलीला, भांड पत्थर और नाचा की प्रस्तुतियां होंगी. इससे एक दुर्लभ अवसर मिलेगा जहां संस्कृत और लोक की प्रस्तुतियों को एकसाथ देख कर उनकी साम्यता और अंतर को समझा जा सकता है.

समकालीन चर्चित प्रस्तुतियां
पिछले वर्ष की चर्चित प्रस्तुतियों में अनुरूपा राय निर्देशित कठपुतली कला की इनोवेटिव प्रस्तुति 'महाभारत', सुनील शानबाग की प्रस्तुति 'लोरेटा', मोहित ताकलकार की प्रस्तुति 'मैं हूँ युसूफ और ये है मेरा भाई',  रणधीर की ‘आउटकास्ट’, बहारुल इस्लाम की ‘हंसिनी’, कन्नड़ प्रस्तुति अक्षयंबरा को  शामिल किया गया है. हैप्पी रणजीत की ‘सूरज का सातवां घोड़ा’, व्योमेश शुक्ल की ‘राम की शक्ति पूजा’के साथ इस बार सिनेमा के प्रसिद्ध कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा की कंपनी की ‘ब्लैकबर्ड’ भी दर्शकों की लिस्ट में होगी जिसमे गीतकार स्वानंद किरकिरे अभिनय करते हैं.

एलायड इवेंट्स
इस बार एलायड इवेंट्स में ग्लोबल थियेटर फोरम में "रंगमंच किसका है" विषय के तहत विश्व के कुछ प्रतिष्ठित रंग अध्येता चर्चा करेंगे. नेशनल सेमिनार का विषय होगा' अभिनेता की रंगमंच से विलुप्ति'. लिविंग लीजेंड्स के अंतर्गत कला जगत की मूर्धन्य हस्तियों से दर्शक साक्षाकार करते हैं. इस वर्ष सावित्री हेस्नाम, चित्रकार जतिन दास और फ़िल्म निर्देशक गोविन्द निहलानी दर्शकों से सीधी बातचीत करेंगे और अपने अनुभवों को साझा करेंगे.

मास्टर क्लास में माधवी मुग्दल और किरण दोषी होंगी. किस्सागोइ की शैलियों ओझा पाली, कीर्तन और मर्सिया पर कार्यशाला होंगी. मध्य प्रदेश के गोंड पेंटिंग, उड़िसा के पट्टचित्र और राजस्थान के कावड़ चित्रकला शैलियों पर प्रदर्शनियां होंगी. प्रस्तुतियों के निर्देशक से मुलाक़ात का कार्यक्रम भी होगा जहां निर्देशक से उनकी प्रस्तुतियों पर संवाद किया जा सकेगा.

इसके अलावा रानावि परिसर में फ़ूड कोर्ट भी होगा जहां विभिन्न प्रकार के एथनिक व्यंजन मिलेंगे और थियेटर बाजार भी जहां रंगमंच से जुडी सामग्रियों की दुकान होगी.

सेटेलाइट फेस्टिवल
सेटेलाइट फेस्टिवल के तहत भारंगम इस बार कुरुक्षेत्र, पटना, हैदराबाद, अगरतला और पुणे में आयोजित किया जा रहा है जिससे कि इन शहरों के दर्शक भी चुनिंदा देशी-विदेशी प्रस्तुतियों को देख सकें.


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