भोपाल में होम्योपैथी चिकित्सा से कोरोना वायरस संक्रमितों को स्वस्थ करने में मिली सफलता

शासकीय होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय में 14 मई को भर्ती हुए छह कोरोना संक्रमित मरीज पूर्णत: स्वस्थ होकर घर लौट रहे

भोपाल में होम्योपैथी चिकित्सा से कोरोना वायरस संक्रमितों को स्वस्थ करने में मिली सफलता

प्रतीकात्मक फोटो.

भोपाल:

Coronavirus: शासकीय होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल, जो कि प्रदेश का पहला होम्योपैथिक अस्पताल कोविड केयर सेंटर के रूप में कार्यरत है, को होम्योपैथिक पद्धति से कोविड पॉजिटिव मरीजों के इलाज में बड़ी सफलता हाथ लगी है. छह कोरोना संक्रमित मरीज, जो 14 मई को भर्ती हुए थे, पूर्णत: स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं. इनमें दो बच्चे भी शामिल हैं जिनके माता-पिता पॉजिटिव थे. इन बच्चों को भी होम्योपैथिक दवा दी गई और 10 दिनों तक अपने माता-पिता के साथ रहने के बावजूद इनमें कोई भी कोरोना के लक्षण नहीं देखे गए. बच्चों को कोई भी एलोपैथिक दवा नहीं दी गई थी. 

डॉ मनोज ने बताया इन सभी मरीजों की डिटेल हिस्ट्री लेने के बाद कुछ विशिष्ट लक्षणों के आधार पर होम्योपैथिक दवा का चयन किया गया था. इन मरीजों को लक्षणों के आधार पर Stannum met, Bryonia alba, Camphor, आर्सेनिक एल्बम आदि दवाएं प्रत्येक मरीज को उचित डोज में खिलाई गई. परिणाम बहुत आश्चर्यजनक थे. होम्योपैथिक दवा के सेवन के बाद मरीजों की हालत में तेजी से सुधार देखा गया और किसी भी मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी. कोरोना मरीजों का इलाज अस्पताल की सुप्रिंटेंडेंट डॉ सुनीता तोमर, मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ प्रवीण जायसवाल, प्रोफेसर डॉ संजय गुप्ता की गाइडलाइन एवं देखरेख में किया गया.

कोविड मरीजों का इलाज कर रही पूरी टीम में मेडिकल आफिसर डॉ देवेन्द्र गुप्ता, डॉ नमिता सक्सेना, डॉ आशीष जैन, पीजी स्कॉलर डॉ मनोज कुमार साहू, डॉ मुकेश मर्सकोले, डॉ  कृष्णपाल जाटव, डॉ संदीप विश्वकर्मा एवं डॉ रोहित शामिल रहे.

डॉ मनोज कुमार साहू ने बताया कि उन्होंने स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत मरीजों की देखभाल की तथा बहुत ही सावधानीपूर्वक होम्योपैथिक दवा का चयन करके मरीजों तक पहुंचाया. उन्होंने बताया कि वे सुबह प्रत्येक मरीज से फोन पर बात करके हिस्ट्री कलेक्ट करते थे तथा प्रत्येक मरीज की दवा का चयन विशिष्ट लक्षणों के आधार पर करते थे. डॉ मनोज ने बताया कि कुछ पेशेंटों में सीने में खालीपन का सेंसेशन, स्वाद का ना आना, खांसी चलना, मितली होना, सुगंध या दुर्गंध का ना आना,  तेज बुखार आना, खाने का मन ना करना, अत्यधिक कमजोरी महसूस होना, गले में खर-खर की आहट महसूस होना आदि लक्षण देखे गए थे. 


होम्योपैथिक चिकित्सा इंडिविजुअलाइजेशन के सिद्धांत पर आधारित है. इसी आधार पर प्रत्येक पेशेंट के लक्षणों का अध्ययन कर दवाई का चयन किया जाता है तथा पीपी किट पहनकर प्रत्येक पेशेंट का राउंड लिया जाता था.इसमें पेशेंट की जनरल कंडीशन का एसेसमेंट करना, पेशेंट के वाइटल जैसे टेंपरेचर, पल्स रेट, रेस्पिरेशन रेट तथा ब्लड प्रेशर लिया जाता था. उसी दौरान पेशेंट को होम्योपैथिक दवा के सेवन के निर्देश भी दिए जाते थे. अगले दिन फोन पर डॉ मनोज द्वारा प्रत्येक पेशेंट का फॉलोअप लिया जाता था. अगर किसी पेशेंट को आराम नहीं मिलता था तो दोबारा हिस्ट्री लेकर अध्ययन कर उसकी मेडिसिन लक्षणों के आधार पर चेंज कर के दी जाती थी.

दो से तीन दिन के अंदर सभी मरीजों की हालत में सुधार देखा गया. इसमें से ज्यादातर मरीज भर्ती होने के समय सिम्टम्स लैस थे या बहुत ही माइल्ड सिस्टम वाले थे. कुछ मरीजों में सिग्निफिकेंट लक्षण के साथ भर्ती किया गया था. सबसे अच्छी बात यह है कि इन 12 दिनों में एक भी मरीज की हालत में गिरावट नहीं आई. किसी भी मरीज को हायर सेंटर रेफर नहीं किया गया. किसी भी मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी. सभी की हालत में मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से सुधार नोटिस किया गया. कल भी 3 कोरोना संक्रमित व्यक्ति स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं. अभी  होम्योपैथी चिकित्सालय  कालियासोत डेम परिसर में 47 कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को इलाज के लिए रखा गया है.

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