कोरोना महामारी के दौरान वित्तीय संकट झेल रहे छोटे उद्योगों को राहत की बड़ी घोषणाएं

वित्त मंत्री ने टैक्स पेयर्स को राहत का ऐलान करते हुए इनकम टैक्स भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवम्बर कर दी

कोरोना महामारी के दौरान वित्तीय संकट झेल रहे छोटे उद्योगों को राहत की बड़ी घोषणाएं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण.

नई दिल्ली:

कोरोना संकट के दौरान वित्तीय संकट झेल रहे छोटे-लघु उद्योगों, NBFCs, डिस्कॉम्स समेत कई सेक्टरों को राहत देने के लिए वित्त मंत्री ने कई बड़ी घोषणाएं कीं. सबसे ज्यादा फोकस आर्थिक संकट झेल रहे सेक्टरों में नकदी की सप्लाई बढ़ने के साथ-साथ टैक्स पेमेंट की व्यवस्था में राहत शामिल है. वित्त मंत्री ने करीब 3 लाख 70000 करोड़ की लिक्विडिटी मुहैया कराने का ऐलान किया है.

बंद पड़े छोटे और मझौले उद्योगों को नकदी की सुविधा मुहैया करने के लिए वित्त मंत्री ने बुधवार को कई बड़ी घोषणाएं की. उन्होंने कहा कि छोटे-मझोले उद्योगों के लिए तीन लाख करोड़ का collateral free automatic loans की सुविधा देंगे. वित्तीय संकट में फंसे छोटे-मझोले उद्योगों को इक्विटी सपोर्ट के लिए 20,000 करोड़ का subordinate debt होगा. MSMEs में फंड ऑफ़ फंड्स के ज़रिए 50,000 करोड़ का इक्विटी infusion. अब सरकारी महकमों में प्रोक्योरमेंट के लिए 200 करोड़ तक के ग्लोबल टेंडर्स को अनुमति नहीं होगी. इससे छोटे-मझोले उद्योगों का नए बिज़नेस के लिए रास्ता खुलेगा.

कोरोना संकट के दौरान वित्तीय संकट झेल रही बिजली वितरण कंपनियों यानी डिस्कॉम्स में 90000 करोड़ की लिक्विडिटी इंजेक्शन के साथ साथ NBFCs के लिए 30000 करोड़ की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम का ऐलान भी किया.

वित्त मंत्री ने टैक्स पेयर्स को राहत का ऐलान करते हुए कहा इनकम टैक्स भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवम्बर कर दी है. नॉन-सैलरी पेमेंट्स पर TDS और TCS रेट 31 मार्च 2021 तक 25% घटाने का भी ऐलान किया. इससे टैक्स पेयर्स के हाथ में 50000 करोड़ बचेगा. कंपनियों के लिए अनिवार्य EPF कंट्रीब्यूशन 12% से घटाकर 10% करने का ऐलान किया.

जब वित्त मंत्री से पत्रकारों ने पूछा कि ये फंड्स कहां से आएगा, सरकार इस मुश्किल दौर में मुहैया कैसे कराएगी, तो उन्होंने सधा हुआ जवाब दिया. 

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लघु उद्योग संघ के सेक्रेटरी जनरल अनिल भारद्वाज ने कहा कि हमारी तीन मांगें थीं, लेकिन वित्त मंत्री ने सिर्फ एक ही मांग मानी है. मांग थी कि लॉकडाउन के दौरान छोटे और लघु उद्योग के वर्करों का खर्च सरकार उठाए. छोटे और लघु उद्योगों ने जो लोन लिया है उसके ब्याज का कुछ हिस्सा सरकार वहन करे और नया लोन दिलाने में मदद करे.