ग्राउंड रिपोर्ट: स्वास्थ्य मंत्री के इलाके के सबसे बड़े अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं, ब्लड बैंक की छत से टपक रहा पानी

Bihar Assembly Election: स्थानीय पत्रकार पुष्पेंद्र बताते हैं कि यहां स्वास्थ्य ATM वैन का उद्घाटन हुआ लेकिन उसके बाद से ही वैन गायब है. इसके लिए FIR भी हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल सका है.

बक्सर:

Bihar Assembly Election:बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर है. चुनावों में शिक्षा, चिकित्सा दशकों से एक मुद्दा रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे भी अपने संसदीय क्षेत्र बक्सर में चुनाव प्रचार में जुटे हैं. उनके संसदीय इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं की सेहत कैसी है? एनडीटीवी ने इसका जायजा ग्राउंड जीरो पर लिया. बक्सर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल है. इस अस्पताल के अंदर स्वास्थ्य मंत्री के लोकार्पण का चमचमाता बोर्ड लगा है...लेकिन बोर्ड से कुछ ही दूरी पर मनीष की मां को ऑक्सीजन लगे होने के बावजूद रह-रह कर उनकी सांस उखड़ रही है. मनीष ने बक्सर से 40 किलोमीटर दूर मोरारका कस्बे से बीमार मां को जिला अस्पताल में दाखिल कराया है लेकिन यहां वेंटीलेटर न होने से अब डॉक्टर उन्हें 135 किमी दूर पटना रेफर कर रहे हैं.

मनीष इससे परेशान हैं. वो कहते हैं, "यह स्वास्थ्य मंत्री का इलाका है लेकिन एक वेंटीलेटर तक नहीं है. डाक्टर बोल रहे हैं , पटना लेकर जाओ. मेरे पास पटना ले जाने की क्षमता नहीं है." सदर अस्पताल से करीब पांच किमी दूर बक्सर का वेलनेस सेंटर है. यहां स्वास्थ्य राज्य मंत्री के एक-दो नहीं, बल्कि तीन-तीन उद्घाटन बोर्ड लगे हैं. पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का फिर उसी बिल्डिंग में वेलनेस सेंटर का उदघाटन हुआ.

तेजस्वी यादव का बीजेपी पर पलटवार, पहले बताए CM का चेहरा कौन? नीतीश ने तो हाथ खड़े कर दिए

स्थानीय पत्रकार पुष्पेंद्र बताते हैं कि यहां स्वास्थ्य ATM वैन का उद्घाटन हुआ लेकिन उसके बाद से ही वैन गायब है. इसके लिए FIR भी हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल सका है. वेलनेस सेंटर के अंदर मॉडर्न टीकाकरण का कमरा जरूर शानदार है लेकिन हेल्थ ATM खराब पड़ा है. वेलनेस सेंटर के सामने ब्लड बैंक है लेकिन उसकी बिल्डिंग की हालत जर्जर है. खून देने वालों को खरीदकर पानी तक लाना पड़ता है.

बिहार चुनाव में इस बार नीतीश कुमार बनाम ऑल क्यों है?

ब्लड बैंक वाली बिल्डिंग की पूरी छत टपकती है. जो भी लोग वहां खून देने आते हैं उन्हें छाता लगाकर खड़ा रहना पड़ता है. अगर बिजली चली गई तो लोगों को ही जनरेटर स्टार्ट करना पड़ता है. कोविड सेंटर के बारे में पूछने पर पता चला कि सेंटर को बंद करके सदर अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है लेकिन यहां कोविड टेस्ट कराना आसान नहीं है. लोग कहते हैं कि कर्मचारी यहां-वहां भटकाते हैं. फिर भटकने के बीद जांच में तीन घंटे लग जाते हैं.  जैसी अस्पतालों की स्थिति है, वैसी ही डॉक्टरों की उपलब्धता भी है. बक्सर में 191 डॉक्टरों की जगह केवल 130 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. 

वीडियो: RJD ने जारी किया घोषणा पत्र, 10 लाख नौकरियों का वादा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com