बिहार चुनाव: पहला चरण तेजस्वी यादव और महागठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट? जानें- पांच अहम बातें

पहले चरण में राज्य को 16 जिलों की 71 विधान सभा सीटों पर आज वोट डाले जा रहे हैं. यहां कुल 1066 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें छह मंत्री, एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व विधान सभा अध्यक्ष भी शामिल हैं.

बिहार चुनाव: पहला चरण तेजस्वी यादव और महागठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट? जानें- पांच अहम बातें

2020 का चुनाव इस मायने में खास है क्योंकि पहली बार रोजगार के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा है

नई दिल्ली: बिहार विधान सभा की 243 सदस्यों के लिए आज से चुनाव शुरू हो गए हैं.  कोरोना काल में यह पहला बड़ा चुनाव है. सभी बूथों पर कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के इंतजाम किए गए हैं. वोटिंग के आखिरी एक घंटे का समय कोरोना संक्रमण की वजह से आइसोलेशन में रह रहे लोगों के लिए रखा गया है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. पहले चरण में राज्य को 16 जिलों की 71 विधान सभा सीटों पर आज वोट डाले जा रहे हैं. यहां कुल 1066 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें छह मंत्री, एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व विधान सभा अध्यक्ष भी शामिल हैं. 2015 के पिछले विधानसभा चुनावों में जब राजद, जेडीयू और कांग्रेस ने महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था, तब इस इलाके में राजद को 27, जेडीयू को 18 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं. यानी महागठबंधन को 71 में से कुल 54 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी को 13 और उनकी सहयोगी हम और रालोसपा को एक-एक सीट मिली थी.

  2. इन्हीं 16 जिलों की 71 सीटों पर 2010 में हुए चुनावों में राजद को 5, कांग्रेस को एक सीट मिली थी. तब कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था. उस वक्त बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था, तब बीजेपी को 22 और जेडीयू को 21 सीटें मिली थीं.

  3. पहले चरण में जहां चुनाव हो रहे हैं, वो अंग प्रदेश और मगध का इलाका है. यानी दक्षिण पूर्व से लेकर दक्षिण, मध्य बिहार और दक्षिण-पश्चिम बिहार तक शामिल है. इनमें बांका, भागलपुर, मुंगेर, जमुई, नवादा, गया, नालंदा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर, भभुआ, बक्सर आदि जिले शामिल हैं.

  4. पहले चरण में जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें अधिकांश सीटों की हरेक बूथ पर वाम दलों खासकर सीपीआई माले का कैडर वोट है. कुछ जिलों- जहानाबाद, अरवल, बक्सर, कैमूर, गया में उनकी पकड़ ज्यादा है. अगर माले जैसे दलों का वोटबैंक महागठबंधन के समर्थन में जाता है तो इस बार राजद गठबंधन का पलड़ा भारी हो सकता है.

  5. 2020 का चुनाव इस मायने में खास है क्योंकि  पहली बार रोजगार के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा है. पहले चरण का चुनाव तय करेगा कि उनके लिए रोजगार, शिक्षा, पलायन का मुद्दा कितना कारगर है. इसी के साथ यह भी तय होगा कि तेजस्वी का एजेंडा लोगों को कितना अपनी तरफ करने में कामयाब हो सका. एक तरह से कहा जाय तो यह चरण तेजस्वी यादव और महागठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट साबित होने जा रहा है, जो उनके लिए अगले चरण की रूप-रेखा तय कर सकता है.