चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच बीजेपी की लड़ाई
चुनावों से कुछ हफ्तों पहले ही गठबंधन के अहम सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपनी पार्टी को अलग कर लिया, तबसे ही सुशील कुमार मोदी घोषणा करते फिर रहे हैं कि 'कुछ भी अगर-मगर नहीं है, नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे.' उन्होंने अपने कई इंटरव्यू में यह संदेश दिया कि चिराग पासवान की लड़ाई, नीतीश कुमार के खिलाफ है. हालांकि, बीजेपी का यह संदेश इस इन चर्चाओं को दबाने में कामयाब नहीं हो सका है कि बीजेपी चिराग पासवान से पूरी तरह रिश्ते तोड़कर उन्हें बिल्कुल अलग क्यों नहीं कर देती?
पासवान के साथ पिछले दरवाजे से डील करने की चर्चाओं की खारिज करते हुए सुशील मोदी ने NDTV से कहा था, 'मैं हर जनसभा में लोगों से कह रहा हूं कि वो एलजेपी के उम्मीदवारों को वोट न दें. वो वोट-कटवा पार्टी है.' गठबंधन और सीट-शेयरिंग का काम खत्म करके बैकसीट पर जाने वाले 68 साल के सुशील मोदी चिराग पासवान के खिलाफ सख्त एक्शन चाहते थे, लेकिन माना जाता है कि बीजेपी ने इस सुझाव को किनारे कर दिया था.
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कोरोनावायरस और प्रवासी मजदूरों के मुद्दों के चलते नीतीश कुमार के खिलाफ बने माहौल के बीच बीजेपी में भी उनके खिलाफ सेंटीमेंट होने की तेजी से चर्चा है. इन चुनावों में जेडीयू के साथ मिलकर चुनावी कैंपेन चलाने के लिए बस सुशील मोदी और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुना गया है.
'नीतीश कुमार का आदमी'
नीतीश कुमार के लिए सार्वजनिक मौकों पर खुला समर्थन दिखाने वाले सुशील कुमार मोदी को विपक्ष अकसर 'नीतीश कुमार का आदमी' कहकर तंज कसता रहा है. उनका यह साथ पार्टियों के अलग-अलग होने पर बना रहा. इसके पीछे एक साथ लंबे वक्त तक काम करना वजह हो सकती है. सुशील मोदी तीन बार नीतीश के नंबर 2 रह चुके हैं. ऐसे कई मौके रहे हैं, जब नीतीश कुमार बीजेपी के बड़े नेताओं के हमलों का केंद्र रहे हैं, लेकिन सुशील मोदी ने हमेशा बीच-बचाव किया है. पिछले साल गिरिराज सिंह ने पटना में हुए जलजमाव और फिर उससे पैदा हुए डेंगू के आउटब्रेक को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था, लेकिन जानकारी है कि सुशील कुमार मोदी बीच में आ गए थे और मामला शांत कराया था.
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2017 में नीतीश कुमार-आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन को तुड़वाने और नीतीश कुमार को बीजेपी के सहयोग के साथ दोबारा सरकार में लाने में सुशील कुमार मोदी का बड़ा हाथ माना जाता रहा है. मोदी ने महीनों तक लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कैंपेन चलाते रहे, जिसके बाद अचानक से नीतीश कुमार ने अपने सहयोगियों को छोड़कर इस्तीफा दे दिया. हालांकि, इसके 14 घंटों बाद ही वो एनडीए की सरकार के मुख्यमंत्री बनकर वापस सत्ता में बैठ गए.
नीतीश कुमार ने जैसे ही इस्तीफा दिया, बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने सुशील मोदी को फोन किया था और वो तुरंत नीतीश कुमार के घर पहुंचे थे. उन्होंने कहा था, 'नित्यानंज राय जी और मैंने नीतीश जी को फोन किया. बीजेपी ने उनके नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए उन्हें समर्थन देने का फैसला किया है.' उन्होंने कहा था कि इसके साथ बिहार के अच्छे दिन लौट आए हैं.
सुशील मोदी ने जेडीयू-बीजेपी की सरकार में उप-मुख्यमंत्री की शपथ ली. जानकारी है कि जब नीतीश कुमार के साथ गठबंधन को लेकर समझौता हो रहा था तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके नाम का सुझाव दिया था. नीतीश कुमार के नंबर 2 और 2013 तक उनके वित्त मंत्री रह चुके सुशील कुमार मोदी को उस वक्त सरकार के कई बड़े कदम उठाने के पीछे क्रेडिट दिया जाता है. नीतीश कुमार ने उस वक्त बिहार के बढ़े राजस्व के लिए भी उनकी प्रशंसा की थी.
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