खास बातें
- शराबबंदी पर मानव श्रृंखला में भाग लेगी बिहार बीजेपी
- श्रृंखला के लिए नीतीश ने सभी दलों से पहली बार अपील की
- महागठबंधन के सभी दलों के लोग भी शामिल होंगे
पटना: पटना में प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की थी. वहीं, नीतीश कुमार ने भी गुजरात में शराबबंदी को लेकर पीएम की प्रशंसा की थी. समारोह में इन दोनों नेताओं की नजदीकी चर्चा में रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख को भांपते हुए अब तक शराबबंदी की प्रशंसा से कन्नी काटने वाली बिहार बीजेपी के सुर बदल गए हैं.
इसकी बानगी बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी पर जन समर्थन के लिए 21 जनवरी को आयोजित की जाने वाली मानव श्रृंखला में देखने को मिलेगी. मानव श्रृंखला के लिए नीतीश ने सभी दलों के लोंगो से पहली बार अपील की है कि वे इसमें भाग लें. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने और सहयोग देने का निर्णय लिया है. चूंकि यह एक सरकारी कार्यक्रम हैं इसलिए महागठबंधन के सभी दलों के लोग भी शामिल होंगे.
उधर, नोटबंदी की समीक्षा के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी को कोई जल्दबाजी नहीं है और इस संबंध में बैठक 23 जनवरी के बाद भी बैठक बुलाई जा सकती है लेकिन फ़िलहाल उनका सारा ध्यान कालचक्र और शराबबंदी पर जन समर्थन के लिए मानव श्रृंखला पर है.
नीतीश ने पटना में एक संवाददाता सम्मलेन में कहा कि 23 जनवरी को महागठबंधन के कार्यकर्ताओं की भी बैठक बुलाई गई हैं जहां उनके मंत्रिमंडल के सभी सहयोगी मौजूद रहेंगे. इस बैठक में कार्यकर्ता अपने क्षेत्र से जुड़ी समस्या के बारे में बता सकते हैं. हाल के महीनों में यह पहली बार होगा कि महागठबंधन के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक होगी. अभी तक विधानसभा सत्र के पहले विधायकों की बैठक होती थी लेकिन माना जा रहा है कि नोटबंदी से होनी वाली समस्या पर भी कार्यकर्ता अपनी राय देंगे.
अब यह तय माना जा रहा है कि पार्टी में नोटबंदी पर चर्चा करने के लिए न कोई जल्दबाजी है और न ही पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार को दिए गए समर्थन पर कोई पुनर्विचार करने की तैयारी की है. इसके पीछे नीतीश कुमार का वह तर्क माना जा रहा है की नोटबंदी को न केवल मध्यम वर्ग बल्कि गरीब वर्ग का समर्थन भी प्राप्त हैं. साथ ही वह अपने हर ज़िले की निश्चय यात्रा के अनुभव के आधार पर दावा करते हैं कि लोगो को मुश्किल हुई तो केवल केंद्र सरकार द्वारा तैयारी न करने की वजह से लेकिन यह आक्रोश जनआंदोलन के रूप में नहीं दिख रहा है.