बिहार: विधानसभा चुनाव के लिए CM नीतीश ने कार्यकर्ताओं को दिया 90-10 का फार्मूला, जानें इसके मायने..

सीएम ने कहा कि 90 प्रतिशत समय का इस्‍तेमाल वो सरकार की उपलब्धियां बताने में करें. जो सकारात्मक काम हुए, उन्‍हें लोगों को बताएं और 10 प्रतिशत समय का इस्‍तेमाल सरकार के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार मतलब विपक्षी दलों की आलोचना का जवाब देने में करेंं.

बिहार: विधानसभा चुनाव के लिए CM नीतीश ने कार्यकर्ताओं को दिया 90-10 का फार्मूला, जानें इसके मायने..

नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने कार्यकर्ताओं को खास संदेश दिया है

पटना :

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) इन दिनों अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चार से छह घंटे वीडियो कॉन्फ़्रेन्स के माध्यम से वर्चुअल सम्मेलन में शामिल होते हैं. नीतीश ने अपने कार्यकर्ताओं को आगामी विधानसभा चुनाव में 90-10 के सिद्धांत पर काम करने का नुस्ख़ा दिया हैं. नीतीश ने गुरुवार को नालंदा, पटना के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए 90-10 के सिद्धांत के बारे में बताया. सीएम ने कहा कि 90 प्रतिशत समय का इस्‍तेमाल वो सरकार की उपलब्धियां बताने में करें. जो सकारात्मक काम हुए, उन्‍हें लोगों को बताएं और 10 प्रतिशत समय का इस्‍तेमाल सरकार के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार मतलब विपक्षी दलों की आलोचना का जवाब देने में करेंं. उन्‍होंने कहा कि चुनाव आ रहे हैं, ऐसे में जो सकरात्मक काम हैं उनके प्रति अधिकांश लोगों का झुकाव होता है. हम लोगों का विवाद किसी से नहीं, हमारी काम के प्रति आस्था है.

नीतीश ने अपने संबोधन में सोशल मीडिया पर कार्यकर्ताओं से और अधिक सक्रिय होने की अपील की. उन्‍होंने चुनाव को लेकर कहा कि चुनाव होगा, उस समय मतलब सितम्बर जब इसकी अधिसूचना जारी होती हैं उस समय क्या स्थिति रहती हैं उसके ऊपर बहुत हद तक निर्भर करता हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव होगा इसलिए काम का चर्चा कीजिएगा.

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कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अपने कामों की चर्चा करते हुए उन्‍होंने कहा कि चाहे स्वास्थ्य के मामले में हों या लौट के आए श्रमिकों को क्‍वारंटाइन सेंटर में रखने की व्यवस्था हो, उन्होंने खुद सब चीज़ की समीक्षा की हैं, लेकिन कुछ जगहों के अव्‍यवस्‍था की खबरों को ज़्यादा तूल दिया गया. सीएम ने कहा कि जहां पहले बिजली के तार पर कपड़े सुखाए जाते थे, वहां आज बिजली होने के कारण लोगों का लॉकडाउन में जीवन आनंदमय बीता. अपने भाषण के दौरान शराबबंदी को लेकर मीडिया में रिपोर्टिंग से नीतीश झुंझलाहट में नजर आए. उनका यही कहना था कि धंधेबाज़ लोग और कुछ पढ़े-लिखे लोगों का तबका, जिसे अब शराब नहीं मिलता वो इसके ख़िलाफ़ मीडिया में उनको निशाने पर लेकर अनाप-शनाप लिखते रहते हैं लेकिन वो अब इस फैसले पर पुनर्विचार करने वाले नहीं हैं.