छात्र आंदोलन के संघर्ष के साथी एक नेता ने दूसरे पर लिखी किताब ‘लालू लीला', जानिए- क्या है इसमें?

पुस्तक के कवर पर लिखा 'ये खोखा मतलब शेल कोंपनियो, दान वसीयत और हर काम के बदले जमीन मकान हथियाने के लालू परिवार के नायाब फंडा के बारे में है'

छात्र आंदोलन के संघर्ष के साथी एक नेता ने दूसरे पर लिखी किताब ‘लालू लीला', जानिए- क्या है इसमें?

लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार (फाइल फोटो).

खास बातें

  • सुशील मोदी ने लिखा- संपत्ति बटोरने की हवस का नाम है लालू प्रसाद
  • लालू परिवार के पास करीब 141 भूखंड, 30 फ्लैट और आधा दर्जन दुकानें
  • रविशंकर प्रसाद ने लिखा- भ्रष्टाचार की अंतहीन दास्तानों का जीवंत दस्तावेज
पटना:

आजकल 'लालू लीला' क्या है, इसके बारे में सब जानना चाहते हैं. यह कोई नाटक नहीं बल्कि एक किताब है. यह किताब एक नेता ने अपने एक ऐसे कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के बारे में लिखी है जो छात्र आंदोलन के दौर में उनके साथी रहे हैं.

जी हां, ये किताब राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव और उनके परिवार के बारे में और लेखक हैं वर्तमान में बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी. मोदी ने किताब के कवर पर ही लिखा है 'ये खोखा मतलब शेल कोंपनियो, दान वसीयत और हर काम के बदले जमीन मकान हथियाने के लालू परिवार के नायाब फंडा के बारे में है.' मोदी ने किताब की प्रस्तावना में ही लिखा है- 'आने वाली तीन पीढ़ियों के लिए संपत्ति बटोरने की हवस का नाम है लालू प्रसाद.'

मोदी के अनुसार लालू यादव और उनके परिवार के पास करीब 141 भूखंड के अलावा 30 फ्लैट और आधा दर्जन दुकान हैं. हालांकि पिछले एक साल के दौरान करीब आधे से अधिक सम्पत्तियों पर अब किसी न किसी जांच एजेंसी का कब्जा हो चुका है. तेजस्वी यादव के नाम से जहां 52 संपत्तियां हैं वहीं राबड़ी देवी के नाम से 43 भूखंड और 30 से ज्यादा फ्लैट हैं. तेज प्रताप के नाम से 28 और मीसा भारती के नाम से 23 से ज्यादा संपत्तियां हैं.

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इस किताब के बारे में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लिखा है कि यह किताब लालू परिवार के भ्रष्टाचार की अंतहीन दास्तानों का जीवंत दस्तावेज है. रविशंकर प्रसाद के अनुसार लालू परिवार के भ्रष्टाचार की कहानियों का खुलासा कर ही भाजपा बिहार में सत्ता में वापस आ पाई.

VIDEO : लालू को नहीं मिली बेल

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लिखा है कि यह किताब साबित करती है कि कोई नेता या जनप्रतिनिधि कितना ही ताकतवर क्यों न हो यदि ठोस दस्तावेज सबूत के साथ सक्षम न्यायालय, जांच एजेंसी और समाचार माध्यम के जरिए जनता की अदालत में मामला पेश किया जाए तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष को तार्किक परिणति तक पहुंचाया जा सकता है.


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