जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाला बिल राज्यसभा में पेश, कांग्रेस ने कहा- आपकी वजह से पैदा हुए ऐसे हालात

कांग्रेस की सांसद विप्लव ठाकुर ने सरकार पर जम्मू-कश्मीर के हालात बिगाड़ने का आरोप लगाया है और साथ ही पूछा कि अगर वहां पर लोकसभा चुनाव हो सकते हैं तो राज्यसभा चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाला बिल राज्यसभा में पेश, कांग्रेस ने कहा- आपकी वजह से पैदा हुए ऐसे हालात

गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बिल पेश किया

खास बातें

  • जम्मू-कश्मीर से जुड़े बिल राज्यसभा में पेश
  • राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाला है बिल
  • लोकसभा में हो चुका है पास
नई दिल्ली:

गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने बढ़ाने के लिए बिल और जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन संशोधन बिल 2019 राज्यसभा में पेश कर दिया है. अब इसको लेकर सदन में चर्चा हो रही है. कांग्रेस की सांसद विप्लव ठाकुर ने सरकार पर जम्मू-कश्मीर के हालात बिगाड़ने का आरोप लगाया है और साथ ही पूछा कि अगर वहां पर लोकसभा चुनाव हो सकते हैं तो राज्यसभा चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं. उन्होंने पूछा कि जो इस समय हालात हैं वह तंग सोच की वजह से हैं.  आपको बता दें कि लोकसभा में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाला बिल पास कर दिया गया है. पेश कर दिया गया है. लोकसभा में जहां कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल का समर्थन किया तो वहीं राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाले बिल का विरोध किया. चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कश्मीर के हालात के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जिम्मेदार हैं. इस पर कांग्रेस के नेता भड़क गए और काफी देर तक हंगामा जारी रहा.  अमित शाह ने कहा कि केंद्र तैयार है, चुनाव आयोग जब चाहे राज्य में विधानसभा चुनाव कराने का फैसला ले सकता है. राज्य में दिसंबर से राष्ट्रपति शासन लागू है. इससे पहले, जून 2018 से राज्यपाल शासन लागू था. शाह ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव हाल के लोकसभा चुनाव के साथ-साथ नहीं कराया गया, क्योंकि सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं था. उन्होंने कहा कि चुनाव में जिन उम्मीदवारों के भाग लेने की उम्मीद थी, उन सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं था. शाह ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा, "जब भी चुनाव आयोग राज्य में चुनाव करवाना चाहेगा, मतदान होग और केंद्र इसमें दखल नहीं देगा. पहले चुनाव आयोग को कांग्रेस काबू करती थी, लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे." 

जम्मू-कश्मीर पर चर्चा के दौरान जब विपक्ष ने अमित शाह को टोका, नाराज क्यों हो रहे हैं

शाह ने कहा कि उनकी सरकार को कांग्रेस से लोकतंत्र पर सबक लेने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य में जब कांग्रेस सत्ता में थी तब सभी चुनाव लोकतंत्र के नाम पर एक 'मजाक' थे. अतीत की बात करते हुए शाह ने कहा, "1953 में, जब एक देश में दो प्रधानमंत्रियों वाली बात के खिलाफ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विरोध करने के लिए कश्मीर गए थे, तो उन्हें जेल में डाल दिया गया था." शाह ने पूछा, "उनकी हत्या की जांच नहीं की गई, क्यों? क्या वह एक वरिष्ठ विपक्षी नेता नहीं थे, बंगाल के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नहीं थे?" पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अस्तित्व के लिए नेहरू को दोषी ठहराते हुए, शाह ने कहा, "उस वक्त संघर्ष विराम की घोषणा किसने की थी? वह नेहरू थे, जिन्होंने यह किया और उस भाग (पीओके) को पाकिस्तान को दे दिया."शाह ने कहा, "आप हम पर आरोप लगाते हैं कि हम लोगों को विश्वास में लेकर नहीं चलते हैं, लेकिन नेहरू ने तब के गृहमंत्री को विश्वास में लिए बिना यह कदम उठाया। हमें इतिहास मत सिखाएं." उन्होंने कहा कि कश्मीर में एक समय ऐसा भी था, जब भारत का नाम वहां नहीं था. भारतीय स्टेट बैंक के निशान पर भारतीय शब्द को कपड़े से ढक दिया जाता था. 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

हम लोग: 370 को ख़त्म करने से समस्या सुलझेगी?​