यह ख़बर 12 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

लोकसभा ने कोयला खान विधेयक को मंजूरी दी

नई दिल्ली:

लोकसभा ने कोयला खान विधेयक 2014 को अपनी मंजूरी दे दी। सरकार ने इस विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की कुछ विपक्षी सदस्यों की मांग को खारिज करते हुए कहा कि देश में कोयला एवं बिजली उत्पादन बढ़ाने, कोयला ब्लॉकों के आवंटन के संबंध में पारदर्शिता लाने, श्रमिकों से जुड़े विषयों को सुलझाने के लिए यह विधेयक अत्यंत जरूरी है।

कोयला खान विधेयक 2014 पर चर्चा का जवाब देते हुए कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को निजी हाथों में सौंपने की विपक्ष की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि राष्ट्रीयकरण को समाप्त करने का अर्थ होता है कि निकाय के स्वामित्व या प्रबंधन को निजी हाथों में सौंपना। सीआईएल के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। इसकी बजाए हम सीआईएल को और मजबूत बनाना चाहते हैं।

मंत्री ने कहा कि कोयला ब्लॉक के आवंटन में गडबड़ियों के संबंध में उच्चतम न्यायालय की ओर से 204 ब्लॉकों का आवंटन रद्द किए जाने के बाद इस क्षेत्र के लिए एक अध्यादेश लाया गया था। अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाने की जरूरत के मद्देनजर ही कोयला खान विधेयक 2014 लाया गया। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि देश में बिजली की कटौती नहीं हो। कोयला एवं बिजली उत्पादन बढ़े।

गोयल ने कहा कि 204 ब्लाकों को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर रद्द किया गया। इनमें से कुछ ब्लाक सरकार को और कुछ निजी क्षेत्र को दिए गए थे। यह नि:शुल्क दिया गया, जो कि पूर्व में लाभ कमाने का साधन बन गए थे। इस विधेयक के माध्यम से इस पुरानी व्यवस्था को समाप्त किया गया है।

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मंत्री ने कहा कि कोयला ब्लॉकों की ई-नीलामी होगी, जो पारदर्शिता की ओर एक बड़ा कदम है। इससे प्राप्त निधि का एक हिस्सा राज्यों को जायेगा और लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा।