यह ख़बर 13 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

राज्यसभा में दो विधेयकों पर हुई सरकार की किरकरी

खास बातें

  • चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के सदस्य ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ संप्रग के कुछ घटक दलों ने भी इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति की।
नई दिल्ली:

राज्यसभा में मंगलवार को सरकार की दो बार किरकिरी हुई तथा विपक्ष के विरोध के कारण जहां उच्च न्यायालय से संबंधित एक विधेयक को चर्चा के बाद पारित करने की प्रक्रिया टालनी पड़ी, वही दूसरी ओर कापीराइट संबंधी एक अन्य विधेयक को चर्चा के लिए सदन में रखा ही नहीं जा सका सदन में आज उच्च न्यायालय वाणिज्यिक प्रभाग विधेयक पर चर्चा हुई। चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के सदस्य ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ संप्रग के कुछ घटक दलों ने भी इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि विधेयक को और धारदार बनाना चाहिए। चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि वह भाकपा नेता डी राजा सहित विभिन्न सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करने के लिए इस विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया टालने का संसद से अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने जरूरी समझा तो इस विधेयक में जरूरी संशोधन किए जाएंगे। उनकी इस घोषणा का विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया। इसके फौरन बाद उपसभापति के रहमान खान ने कापीराइट संबंधी विधेयक को चर्चा के लिए सदन में रखने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का नाम पुकारा। प्रतिलिप्याधिकार संशोधन विधेयक को चर्चा की खातिर रखने के लिए सिब्बल खड़े हो पाते, इससे पहले ही जद यू के शिवानंद तिवारी ने व्यवस्था का सवाल उठाते हुए कहा कि सदन के नियमों के अनुसार कोई भी सदस्य ऐसे मुद्दे पर चर्चा में भाग नहीं ले सकता जिससे उनके हितों में टकराव हो। तिवारी ने कहा कि सिब्बल के पुत्र संगीत से जुड़ी एक प्रसिद्ध कंपनी के वकील हैं। चूंकि यह कापीराइट से जुड़ा मामला है, इसलिए इसमें हितों का टकराव है। तेदेपा के मैसूरा रेड्डी ने कहा कि इस प्रसिद्ध कंपनी के विभिन्न अदालतों में कापीराइट से संबंधित कई मामले लंबित हैं। इन मामलों में सिब्बल के पुत्र उस कंपनी के वकील हैं। ऐसे में उन्हें यह विधेयक चर्चा के लिए नहीं रखना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने सफाई देते हुए कहा कि यह हितों के टकराव का मामला नहीं है। हितों का टकराव आश्रित संतानों की स्थिति में होता है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुछ अन्य सदस्य भी बोलना चाहते थे लेकिन हंगामे के कारण खान ने बैठक को शाम करीब चार बजकर 50 मिनट पर 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बैठक दोबारा शुरू होने पर भाजपा के प्रकाश जावडेकर ने कहा कि यह विधेयक सिब्बल ने जब सदन में पेश किया था, उस समय हितों के टकराव से संबंधित बात सदस्यों के संज्ञान में नहीं थी। बाद में यह बात सामने आने पर हम लोग इसे सदन में उठाना चाहते हैं। खान द्वारा सदस्यों से शांत होने की कई अपीलें किए जाने के बावजूद हंगामा जारी रहा जिससे सदन की बैठक निर्धारित समय से पहले ही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।


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