यह ख़बर 07 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

मानसून सत्र खत्म, गतिरोध पर जारी जुबानी जंग

खास बातें

  • संसद का मानसून सत्र शुक्रवार को खत्म हो गया। 20 दिन के इस सत्र में संसद की कार्यवाही 13 दिन बाधित रही। गतिरोध के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को कोसा, वहीं भाजपा ने अपने प्रदर्शन को लोकतंत्र का हिस्सा बताया।
नई दिल्ली:

संसद का मानसून सत्र शुक्रवार को खत्म हो गया। 20 दिन के इस सत्र में संसद की कार्यवाही 13 दिन बाधित रही। गतिरोध के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कोसा, वहीं भाजपा ने अपने प्रदर्शन को लोकतंत्र का हिस्सा बताया।

संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में मनमोहन सिंह ने संसद को लगातार ठप रखने के लिए भाजपा पर प्रहार करते हुए शुक्रवार को कहा, "हमें गर्व करना चाहिए कि हमारे पास एक कार्यशील लोकतंत्र है। लेकिन इस सत्र में हमने जो कुछ देखा, वह पूरी तरह इसका नकारात्मक पहलू है।" उन्होंने कहा, "इस देश में सभी सही सोच रखने वालों को उठ खड़ा होना चाहिए और संयुक्त रूप से यह आवाज बुलंद करनी चाहिए कि उन संसदीय संस्थाओं में नियमों के अनुरूप कामकाज चलने दिया जाए, जिन्हें हम देश के आजाद होने के समय से ही जानते हैं।"

संसद का मानसून सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही भाजपा ने सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही भी नहीं चलने दी। इस तरह 20 दिनों के इस सत्र में कार्यवाही 13 दिन बाधित रही।

भाजपा अड़ी रही कि जिस समय कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए उस समय कोयला मंत्रालय कर प्रभार प्रधानमंत्री के पास था, इसलिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मनमोहन सिंह इस्तीफा दें।

भाजपा ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की जिस रिपोर्ट को अपनी मांग का आधार बनाया है, उस पर टिप्पणी करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि वह भारत के आधिकारिक अंकेक्षक को अत्यंत सम्मान करते हैं लेकिन उनकी रिपोर्ट पर संसद में चर्चा करनी होगी। उन्होंने कहा, "हम सीएजी का एक संस्था के तौर पर अत्यंत सम्मान करते हैं। हमें उनके तथ्यों पर लोक लेखा समिति में तथा संसद में बहस करनी चाहिए। हम हमेशा से यह इच्छा व्यक्त करते आए हैं।"

भाजपा पर हमला जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "विपक्ष ने यह तरीका चुना कि सीएजी रिपोर्ट के बहाने तयशुदा संस्थागत कार्यों का लाभ किसी को न मिले और इसलिए वह संसद को बाधित करने पर अड़ी रही।"

मनमोहन सिंह कहा, "यह लोकतंत्र का नकारात्मक पक्ष है। यदि इस धारणा को बढ़ावा दिया गया तो यह संसदीय लोकतंत्र के नियमों का उल्लंघन होगा।" उन्होंने कहा, "भारत के सामने कई समस्याएं हैं। कहीं बढ़ते साम्प्रदायिक तनाव की समस्या है तो कहीं क्षेत्रीय और जातीय तनाव की समस्या है। कहीं आतंकवाद की तो कहीं नक्सलवाद की समस्या है। इन मुद्दों पर बहस होनी चाहिए लेकिन देश के समक्ष इन अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं करने दी गई।"

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मंदी के कारण समूचा विश्व गम्भीर आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है और हम प्रयासरत हैं कि बाहरी दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसका प्रभाव भारत पर न पड़ने दें। उन्होंने कहा, "संसद में इन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी कि वैश्विक तनावों से निपटने और विकास के लिए हमारी आर्थिक रणनीति क्या होनी चाहिए।"

मनमोहन ने कहा, "संसद में इनमें से कुछ भी नहीं होने दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि संसद जो एक मंच है, जिस पर हम लोगों की जरूरतों और उनकी अप्रसन्नता पर बेबाक राय रखते हैं, उसे पूरी तरह पंगु बना दिया गया।"

ज्ञात हो कि सीएजी की रिपोर्ट में कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए नीलामी की प्रक्रिया न अपनाने पर सरकार की आलोचना की गई है और कहा गया है कि इस कारण केंद्रीय राजकोष को 1.86 लाख करोड़ रुपये (37 अरब डॉलर) का नुकसान हुआ।

वहीं प्रधानमंत्री के प्रहार पर पलटवार करते हुए भाजपा कहा कि 'प्रदर्शन भी लोकतंत्र का हिस्सा है।'

भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को याद दिलाना चाहती हूं कि जब वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने भी तहलका के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही बाधित की थी। यहां तक कि ताबूत घोटाले में भी उन्होंने संसद की कार्यवाही बाधित की थी और हमें चोर कहा था।" उन्होंने कहा, "संसद की कार्यवाही नहीं चलने देना भी लोकतंत्र का हिस्सा है।"

सुषमा का समर्थन करते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं को 'पूंजीवाद का स्पष्ट उदाहरण' बताया।

अन्य विपक्षी दलों ने भी अलग-अलग मुद्दों को लेकर संसद में हंगामा किया। इन मुद्दों में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के एक मंत्री की संलिप्तता का मुद्दा भी था।

सुबह के स्थगन के बाद लोकसभा की बैठक दोपहर 12 बजे जब दोबारा शुरू हुई तो दिन की कार्यवाही के लिए सूचीबद्ध कुछ दस्तावेज सदन के पटल पर रखे गए, और उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

राज्यसभा में सत्र के अंतिम दिन दो बार कार्यवाही स्थगित हुई। और उसके बाद उसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

पहला स्थगन सुबह 11 बजे बैठक शुरू होने के तत्काल बाद हुआ। भाजपा सदस्य एक बार फिर अपनी सीटों से खड़े हो गए और कोयला ब्लॉक आवंटन में घोटाले के लिए प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करने लगे।

समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने भी सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों व जनजातियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में हंगामा किया और वे सभापति के आसन के पास पहुंच गए।

राज्यसभा की कार्यवाही पहली बार दोपहर तक के लिए और उसके बाद अपराह्न् 12.45 बजे तक के लिए स्थगित हुई। जब सदन की बैठक 12.45 बजे फिर शुरू हुई तो सभापति हामिद अंसारी ने कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

अंसारी ने सदस्यों को सूचित किया कि पूरे सत्र में सूचीबद्ध 399 में से मात्र 11 प्रश्न मौखिक पूछे गए। पूरे सत्र के दौरान मात्र एक दिन ही प्रश्नकाल हो सका। अंसारी ने कहा, "व्यवधानों के कारण कुल 62 घंटे बर्बाद हो गए।"

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

सभापति ने नियमित प्रक्रिया के हिस्से के रूप में सदस्यों के शिष्टाचार के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। इस पर सदन में ठहाका गूंज उठा। संसद का मानसून सत्र आठ अगस्त को शुरू हुआ था।