सोशल मीडिया में लोकप्रिय हो रहे हैं गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे बिल्लू ताऊ और नेपाल ताऊ

गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में अपनी देसी भाषा और बिना लाग लपेट अपनी बात रखने वाले कुछ ताऊ सोशल मीडिया के जरिए खासे लोकप्रिय हो गए हैं.

नई दिल्ली:

गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में अपनी देसी भाषा और बिना लाग लपेट अपनी बात रखने वाले कुछ ताऊ सोशल मीडिया के जरिए खासे लोकप्रिय हो गए हैं. इनमें आठवी पास बिल्लू और नेपाल ताऊ हैं जिनके वीडियो बड़ी-बड़ी हस्तियां साझा कर रही हैं. ताऊ से जब यह कहा जाता है कि आपके वीडियो को सिंगर गिप्पी ग्रेवाल ने इस्टाग्राम पर शेयर क्या है और टीवी पर काफी टीआरपी मिल रही है तो ताऊ पलट कर पूछते हैं कि के होते हैं टीआरपी?

साथ ही उनका कहना है कि भईया म्हाने न देखे हैं वीडियो शीडियो या देख म्हारा फोन. जब उनसे कहा जाता है कि सब आपके साथ सेल्फी ले रहे हैं? ताऊ की तरफ से एक और जवाब आता है,' तुम्हे कोई परेशानी आ रही है? या पर भी मुकदमा लिखो जाओगे तुम्हारे चैनेल पर साबुन तेल भी बिक रहे.

तााऊ बीते 14 साल से BKU से जुड़े हैं लेकिन डेढ़ महीने से चल रहे किसान आंदोलन में बिल्लू ताऊ अपने देसी अंदाज के चलते लोगों के बीच खासे चर्चित हो गए हैं. बिल्लू ताऊ से जब कहा गया कि नेता कहते हैं कि किसान गाजर का हलुवा खा रहे हैं और सड़क पर बैठे हैं...बिल्लू ताऊ कहते हैं, "तो सरकार सल्फास बटवा दे भई सुन गाजर म्हारे खेत की दूध म्हारे भैंस की चीनी म्हारे गन्ने की तो गाजर का हलुवा हम नहीं खाएंगे तो क्या घनश्याम खावेगा."

गाजीपुर बार्डर पर सिर्फ बिल्लू ताऊ ही नहीं यूट्यूब चैनलों की दूसरी पसंद नेपाल ताऊ भी है. बुलंदशहर के सत्तर साल के किसान नेपाल ताऊ के वीडियो भी लाखों लोग पसंद करते हैं. बीते 34 साल से BKU के संगठन में काम कर रहे हैं लेकिन किसान आंदोलन में उनका तीखा अंदाज युवाओं में खूब जोश भर रहा है.

जब नेपाल ताऊ से कहा गया कि सोशल मीडिया पर आपने अपने को देखा है नेपाल ताऊ? तो उनका जवाब था भाई हमे के पता हमें तो मोबाइल चलाना ही न आता है बालक लोग बताते है हम तो यहां पड़े हैं बालक लोग बताते हैं कि कुछ आवे है थारी. हम 56 दिन से यहां पड़े है देख बेटे यू मेरा फोन है धोरे कहा फोन है बेटे यू फोन है...जबकि नेपाल ताऊ के नाम से ये सोशल मीडिया पर खासे मशहूर.

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मेन स्ट्रीम मीडिया में खेती किसानी पर बड़े बड़े प्रवक्ताओं की बातों से ज्यादा देसी अंदाज में सरकार के कृषि कानूनों की आलोचना करने वालों को खूब देखा जा रहा है. यही वजह है सालों तक गुमनाम रहने वाले किसान अब अपनी बातों से सोशल मीडिया के हीरो बने हैं.