Birthday Special: भीकाजी कामा के अंतिम संस्कार में क्यों शामिल नहीं हुए थे उनके पति, जानें पूरा किस्सा

भीकाजी कामा (Bhikaiji Cama) और उनके पति रुस्तमजी कामा के राजनीतिक विचारों में जमीन-आसमान का अंतर था.

Birthday Special: भीकाजी कामा के अंतिम संस्कार में क्यों शामिल नहीं हुए थे उनके पति, जानें पूरा किस्सा

भीकाजी कामा (Bhikaiji Cama) और उनके पति रुस्तमजी कामा के राजनीतिक विचारों में जमीन-आसमान का अंतर था.

नई दिल्ली :

पारसी परिवारों को शुरू से ही खुले और उन्मुक्त विचारों वाला माना जाता रहा है. यह साल 1861 था. भीकाजी कामा (Bhikaiji Cama) का जन्म मुंबई के ऐसे ही एक समृद्ध और खुले विचारों वाले पारसी परिवार में हुआ. यह साल एक और मायने में महत्वपूर्ण था और वह था मोतीलाल नेहरू और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म, जिन्होंने भीकाजी कामा की तरह ही अपनी शख़्सियत की छाप छोड़ी. भीकाजी कामा की शुरुआती पढ़ाई लिखाई मशहूर 'एलेक्जेंड्रा गर्ल्स एजुकेशन इंस्टीट्यूशन' में हुई, जिसे उस जमाने में लड़कियों की शिक्षा के लिए सबसे बेहतर संस्थान माना जाता था. भीकाजी कामा के अंदर आजाद ख्याली की नींव वहीं से पड़ी. 

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साल 1885 में भीकाजी कामा की शादी मुंबई के ही एक रईस परिवार में तय हुई. पति रुस्तमजी कामा उनसे उम्र में एक साल बड़े थे और पेशे से बैरिस्टर थे. डॉ. निर्मला जैन अपनी किताब 'भीखाई जी कामा' में लिखती हैं, 'उस समय भीकाजी की हमउम्र लड़कियां इससे बेहतर जीवन साथी की कल्पना और आशा नहीं कर सकती थीं, लेकिन भीकाजी उनसे अलग थीं. उन्होंने तो अपने वतन को विदेशी दासता से मुक्ति दिलाने का सपना देखा था'. शादी के कुछ दिनों बाद ही भीकाजी कामा का मन गृहस्थ जीवन से उखड़ने लगा. 

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भीकाजी कामा (Bhikaiji Cama) और उनके पति रुस्तमजी कामा के राजनीतिक विचारों में जमीन-आसमान का अंतर था. बकौल डॉ. निर्मला जैन, रुस्तमजी कामा ब्रिटिश राज की उदारता के विश्वासी और हिमायती थे. उनका ख़्याल था कि भारत का हित ब्रिटिश शासन में ही है और वे यहां सौ साल और रहें. मतभेद गहराता गया और कुछ सालों बाद ही भीकाजी कामा अपने पति से अलग हो गईं. हालांकि औपचारिक रूप से कोई तलाक आदि नहीं हुआ था. डॉ. निर्मला जैन अपनी किताब 'भीखाई जी कामा' में लिखती हैं, 'पति रुस्तमजी कामा ने भीकाजी कामा को कभी क्षमा नहीं किया. जब भीकाजी का निधन हुआ तो वे अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए. 

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