UP: तो इस तरह अमित शाह ने केशव प्रसाद मौर्य की CM दावेदारी को खुद ही खारिज किया...

UP: तो इस तरह अमित शाह ने केशव प्रसाद मौर्य की CM दावेदारी को खुद ही खारिज किया...

केशव प्रसाद मौर्य को गैर-यादव ओबीसी जातियों को बीजेपी के पाले में लाने का श्रेय दिया जा रहा है.

खास बातें

  • सीएम की रेस में पांच-छह नाम सबसे आगे
  • केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी चर्चा में
  • शनिवार को चुना जाएगा नया सीएम

इस वक्‍त सियासी हलकों से लेकर सोशल मीडिया तक सबसे ज्‍यादा यूपी के संभावित मुख्‍यमंत्री के संभावित नामों की ही चर्चा हो रही है. इसमें राजनाथ सिंह, केशव प्रसाद मौर्य और मनोज सिन्‍हा का नाम सबसे आगे चल रहा है लेकिन गुरुवार को अमित शाह के एक बयान के बाद से माना जा रहा है कि हालात बदल गए हैं. जानकारों के मुताबिक इस बयान के बाद रेस में प्रमुखता से दिख रहे केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर विराम लगता दिख रहा है. दरअसल गुरुवार को पत्रकारों ने अमित शाह से पूछा कि यूपी का नया सीएम कौन हो सकता है? इस पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा,'' मैंने यह जिम्‍मेदारी केशव प्रसाद मौर्य को दे दी है.'' इसके निहितार्थ निकालते हुए  राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि केशव मौर्य अब संभवतया सीएम रेस से बाहर हो गए हैं क्‍योंकि अब उनको खुद ही इस पद के लिए तलाश करनी है.

इन सबके बीच गुरुवार को ही यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की अचानक तबीयत बिगड़ गई. शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मौर्य ने कहा है कि मैं जनता से कहना चाहता हूं कि पूरी तरह से स्वस्थ हूं और विधायक दल की बैठक में जाऊंगा.

उल्‍लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश का नया मुख्यमंत्री कौन होगा यह शनिवार को तय हो जाएगा. लखनऊ में शनिवार शाम को बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक होगी, जिसमें राज्य के नए मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा.

गोवा और मणिपुर में जहां बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ था, वहां उन्होंने बहुत जल्दी सरकार गठन कर लिया, लेकिन यूपी में ऐतिहासिक जीत के बावजूद मुख्यमंत्री का नाम अभी तक तय नहीं हो सका है. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कोशिश है कि यूपी के सीएम के रूप में किसी ऐसे व्यक्ति को चुना जाए, जो बीजेपी के विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने के साथ-साथ राज्य में जातीय समीकरण के लिहाज से भी ज्यादा सटीक बैठ सके. बीजेपी अब 2019 के आम चुनावों को लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ना चाह रही है और उसकी कोशिश है कि यूपी में वह अपने जनाधार को और व्यापक बनाए. उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए 80 सदस्य चुने जाते हैं.


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