मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान निकाय चुनाव में भी बीजेपी की बड़ी जीत, लेकिन गढ़ में 'हारीं' वसुंधरा

मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान निकाय चुनाव में भी बीजेपी की बड़ी जीत, लेकिन गढ़ में 'हारीं' वसुंधरा

राजस्थान में वोटिंग (फाइल तस्वीर)

जयपुर:

राजस्थान में गुरुवार को निकाय चुनावों के परिणाम आ गए। इनपर सबकी नज़रें टिकी हुई थीं। शायद इसलिए की ललित मोदी को लेकर विवादों में आई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए ये 'ललितगेट' के बाद पहला चुनाव था।

साथ ही ये चुनाव सचिन पायलट के लिए भी कड़ी चुनौती थी। हाल ही में राजस्थान में कांग्रेस की कमान संभालने के बाद वो यहां पार्टी को दुबारा खड़े करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

जहां तक नतीजों का सवाल था, 129 निकाय में बीजेपी की बढ़त साफ़ नज़र आई। 68 निकायों में या तो बीजेपी की बढ़त है या उनका जीतना और यहां बोर्ड बनाना तय है। 33 निकाय कांग्रेस के हाथ में दिखाई दे रहे हैं। 18 में निर्दलीय बोर्ड बनाने की स्थिति में हैं। एक में एनसीपी आगे है। 9 में दोनों पार्टियों में बराबर की टक्कर रहेगी।

लेकिन इस चुनाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विधानसभा क्षेत्र झालावाड़ में बीजेपी को झटका ज़रूर लगा है। यहां दो नगर पालिकाएं, झालवाड़ और झालरापाटन दोनों में कांग्रेस जीत गई है।
निकाय चुनावों के कुछ ही महीने पहले, झालवाड़ में नगर निगम उपाध्यक्ष ऊषा यादव को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया और कांग्रेस से हाथ मिलाकर उसने मुख्यमंत्री के ही क्षेत्र में पार्टी को नुकसान पहुंचाया।

जीतने के बाद ऊषा यादव ने एनडीटीवी को बताया, "मैंने पूरा साथ बीजेपी का निभाया था, तो उन्होंने मुझे नुकसान पहुंचाया। उसकी भरपाई कांग्रेस के साथ मिल के कर दी है, मैंने कांग्रेस को बहुत अच्छे वोटों से जिताया है और अब मैं कांग्रेस का ही साथ दूंगी।"

लेकिन बीजेपी का कहना है कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।

"अगर झालावाड़ में कांग्रेस जीती है तो अजमेर जहां से सचिन पायलट सांसद रहे हैं वहां कांग्रेस का सफाया हो गया है, जोधपुर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत का गढ़ रहा है, लेकिन वहां भी बीजेपी जीती है और ऐसा ही हाल हुआ है भीलवाड़ा में जहां से कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता सीपी जोशी सांसद रहे हैं।"

वसुंधरा राजे के बचाव में ऐसा कहा बीजेपी उपाध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा है। उनका मानना है कि अगर पूरा चित्र देखें तो ज़्यादातर निकायों और नगर पालिकाओं पर उनका क़ब्ज़ा है।

पहले चरण में नवम्बर में हुए 46 नगर निगमों में भी 31 उनके खाते में आई थीं और ये बढ़त उन्होंने बरक़रार रखी है।

ज़ाहिर है व्यापम घोटाला और ललितगेट से विवादों में आई बीजेपी ये भी बताना चाहती है कि जिसको कांग्रेस मुद्दा बना रही है, उसका लोगों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, इसलिए मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों में निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत को लेकर पार्टी नेतृत्व ने भी राज्य नेताओं कि पीठ थपथपाई है।

एक तरफ प्रधानमंत्री का ट्वीट तो दूसरी ओर अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बधाई दी है। यानी ललित मोदी के साथ विवादों में रही मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं है।

लेकिन कांग्रेस इस चुनाव नतीजों से एक अलग ही तर्क निकाल रही है। सचिन पायलट का कहना था कि झालावाड़ में सेंध तो मारी ही है, साथ ही कांग्रेस के मतदाता अब वापस पार्टी के तरफ रुख कर रहे हैं।

पायलट का कहना है कि "लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस का जो वोट का अंतर था वो 26% था इन चुनावों में वोट का डिफरेंस 0.5% रहा गया है।"

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उल्लेखनीय है कि अपने-अपने पार्षदों के जीताने के साथ-साथ पार्टियों को नगर पालिकाओं में अपना बोर्ड बनाना होता, तभी जीत पूरी मानी जाएगी और शुक्रवार को बोर्ड अध्यक्षों के चुनाव होने हैं।