नए तेवरों के साथ बेंगलुरु से वापस बीजेपी, विपक्ष पर पलटवार को तैयार

बेंगलुरु : भूमि अधिग्रहण पर किसान विरोधी होने का आरोप झेल रही बीजेपी अब पलटवार की तैयारी में है। बेंगलुरु में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला किया गया है कि इस मुद्दे पर पूरे देश में प्रचार अभियान चलाया जाएगा। मोदी सरकार के दस महीने के कामकाज पर पीठ थपथपाने के साथ ही बेंगलुरु में चल रही बीजेपी की दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक खत्म हो गई।
 
भूमि अधिग्रहण, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनाने जैसे विवादास्पद मुद्दों पर बताया गया कि आखिर ये फैसले क्यों किए गए। जम्मू-कश्मीर पर पार्टी महासचिव राम माधव ने विस्तार से बताया कि आखिरकार पीडीपी के साथ सरकार क्यों बनाई गई और ये बनाते वक्त राष्ट्र हितों का किस तरह ध्यान रखा गया।
 
जबकि भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर गोपाल अग्रवाल ने कार्यकारिणी के सामने विस्तार से सारी बातें रखीं। राजनीतिक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी बताया कि एनडीए के कानून से किसानों का किस तरह फायदा होगा।
 
जेटली ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में सड़कें बनाने, सिंचाई परियोजनाओं को शुरू करने, गरीबों के लिए मकान बनाने जैसे कामों के लिए जमीन अधिग्रहित की जाएगी और जिससे आखिरकार गरीब और किसानों का ही फायदा होगा।
 
ये दोनों वो मुद्दे हैं जिन पर बीजेपी में सरकार से अलग राय थी पर अब पार्टी सरकार के साथ है। जेटली के मुताबिक पार्टी ने सरकार के लिए सभी फैसलों पर मुहर लगा दी। साथ ही पार्टी ये भी चाहती है कि इन दोनों मुद्दों पर विपक्ष के दुष्प्रचार का पूरा जवाब दिया जाए। भूमि अधिग्रहण पर देश भर में प्रचार अभियान चलाने का फैसला भी किया गया।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकारिणी में अपने भाषण में कहा कि बदलाव की शुरुआत हो गई है और इसका श्रेय अकेले उन्हें नहीं पूरे मंत्रिमंडल को जाता है। बीजेपी नेताओं के विवादास्पद बयानों पर आलाकमान की ओर से संदेश दे दिया गया है कि इन पर लगाम लगाई जाए नहीं तो कार्रवाई होगी।
 
बैठक से साफ हुआ कि सरकार और पार्टी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा नियंत्रण है। पार्टी की अंदरूनी कलह अब सतह पर नहीं आ रही। वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का समापन भाषण न होना यही इशारा करता है। हालांकि जेटली का कहना है कि आडवाणी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वो जब चाहें किसी भी फोरम पर बीजेपी को गाइड कर सकते हैं।
 
कार्यकारिणी की बैठक में दिल्ली की करारी हार पर चर्चा नहीं होने दी गई। अब पूरा फोकस बिहार के चुनाव पर लगा दिया गया है। पार्टी नेतृत्व को ये एहसास है कि अगर वहां परिणाम मनमाफिक नहीं आए तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
 
पार्टी ने सदस्यता अभियान का दूसरा चरण शुरू करने का फैसला भी किया है। मोदी सरकार का एक साल पूरा होने के मौके पर हर बूथ पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ये भी तय किया गया है कि बीजेपी हर जिले में अपना कार्यालय खोलेगी। ये तमाम गतिविधियां पार्टी कार्यकर्ताओं और मशीनरी को व्यस्त रखने के लिए तय की गई हैं।

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