BJP नेता ने किसान संगठनों पर दोहरे मापदंड अपनाने का लगाया आरोप, बोले-निजी कंपनियों के प्रवेश की उठाई थी मांग

भाजपा के महासचिव बीएल संतोष ने पंजाब स्थित अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून का एक आर्टिकल ट्वीट किया है. इसमें हेडलाइन के जरिये बताया गया था कि किसानों ने गेहूं खरीद के लिए कंपनियों को इजाजत देने की मांग उठाई थी.

नई दिल्ली:

BJP नेता बीएल संतोष ने किसान संगठनों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने याद दिलाया है कि 2008 में किसान संगठनों ने निजी कंपनियों से गेहूं खरीद की मांग उठाई थी. किसान संगठनों के आंदोलन के रविवार को 11वां दिन था. सिंघु बॉर्डर पर हजारों किसान आंदोलनरत हैं.

दरअसल, कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों को आने की इजाजत देने को लेकर भाजपा सरकार किसानों के निशाने पर है. भाजपा के महासचिव बीएल संतोष ने पंजाब स्थित अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून का एक आर्टिकल ट्वीट किया है. इसमें हेडलाइन के जरिये बताया गया था कि किसानों ने गेहूं खरीद के लिए कंपनियों को इजाजत देने की मांग उठाई थी. BJP नेता ने #FarmersWithModi के साथ ट्वीट कर कहा, यह वर्ष 2008 था. पंजाब और हरियाणा के किसानों ने कृषि बाजार में कारपोरेट के प्रवेश की मांग की थी. उन्हीं किसान संगठनों के दोहरे रवैये को समझिए. बीएल संतोष ने कहा कि निजी क्षेत्र को कृषि क्षेत्र में प्रवेश देने के समर्थन देने वाले विपक्ष के दस्तावेज भी सामने आ गए हैं.

नवंबर 2011 में तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने राज्यों से निजी कृषि मंडियों को प्रवेश देने का अनुरोध किया था. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे एक पत्र में कहा गया है. मौजूदा एपीएमसी एक्ट (मंडी समिति से जुड़ा कानून) में बदलाव की जरूरत है, ताकि विपणन के ढांचे में निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके. साथ ही किसानों, ग्राहकों और कृषि व्यापार के हित में वैकल्पिक रास्ते खोले जा सकें और उत्पाद बेचने के नए रास्ते खोले जा सकें. 

पिछले 10 दिनों से किसान सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित हैं. किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है. किसानों औऱ केंद्रीय मंत्रियों के बीच 9 दिसंबर को अगले दौर की वार्ता होनी है. किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. जिसे कई दलों और संगठनों ने भी समर्थन दिया है.

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BJP का मानना है कि असली किसान सरकार के साथ हैं और कृषि कानूनों के समर्थन में हैं. पार्टी का कहना है कि विपक्षी कांग्रेस या राष्ट्र विरोधी तत्वों के जरिये किसानों को बरगलाया जा रहा है. इसी संदर्भ में खालिस्तानी शब्द भी सामने आया था. किसानों के आंदोलन में "खालिस्तानी तत्व" होने की संभावना पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि हमारे पास कुछ इनपुट हैं कि भीड़ में कुछ अवांछित तत्व शामिल हैं.