यह ख़बर 24 सितंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

भाजपा विधायक संगीत सोम को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध किया गया

खास बातें

  • फर्जी वीडियो अपलोडिंग और भड़काऊ भाषण देने के मामले में कथित तौर पर संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार भाजपा विधायक संगीत सोम को मंगलवार को कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत निरुद्ध किया गया।
मुजफ्फरनगर:

फर्जी वीडियो अपलोडिंग और भड़काऊ भाषण देने के मामले में कथित तौर पर संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार भाजपा विधायक संगीत सोम को मंगलवार को कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत निरुद्ध किया गया।

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन ने उन्हें रासुका के तहत निरुद्ध किया। इस आशय का वारंट उन्हें उरई जिला जेल में सौंपा गया।

एक फर्जी वीडियो अपलोड करने और भड़काऊ भाषण देने के आरोपी सोम को 21 सितंबर को मेरठ में गिरफ्तार किया गया था। इस वीडियो ने मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक तनाव भड़काने में अहम भूमिका निभाई थी।

मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण देने के आरोप में लखनऊ में भाजपा विधायक सुरेश राणा को हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद उनको गिरफ्तार किया गया।

मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने बुधवार को सोम, बसपा सांसद कादिर राणा, भाजपा विधायक भारतेंदु सिंह, बसपा विधायक नूर सलीम और मौलाना जमील, कांग्रेस नेता साईदुज्जमां और भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत सहित 16 नेताओं और सामुदायिक नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किया था।

पुलिस के अनुसार, वह जिले में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और विभिन्न महापंचायतों में भड़काऊ भाषणों से सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए वांछित हैं। बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में काफी बवाल मचा था और उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने पार्टी विधायक सोम की संभावित गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

मुजफ्फरनगर की एक अदालत द्वारा कई विधायकों के खिलाफ वारंट जारी किए जाने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं होने संबंधी आलोचनाओं के बीच, आईजी (कानून व्यवस्था) आरके विश्वकर्मा ने कहा था कि गिरफ्तारियां ‘जानबूझकर टाली’ जा रही है क्योंकि राज्य विधानसभा का सत्र चल रहा है।

मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने कल सोम की जमानत याचिका नामंजूर कर दी थी।

मुजफ्फरनगर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में सांप्रदायिक झड़पों में 49 लोगों की मौत हुई थी जबकि 40 हजार से अधिक विस्थापित हुए थे।

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भाजपा ने समाजवादी पार्टी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए आरोप लगाया था कि उसके कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है और ‘बिना सबूत’ के मामलों में फंसाया जा रहा है।