जानें योगी आदित्यनाथ को लेकर क्यों बोली बीजेपी - 'ऐसे ही तर्क पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी इस्तेमाल हुए थे'

जानें योगी आदित्यनाथ को लेकर क्यों बोली बीजेपी - 'ऐसे ही तर्क पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी इस्तेमाल हुए थे'

योगी आदित्यनाथ ने रविवार को यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

खास बातें

  • वोटरों का ध्रुवीकरण करके 2019 का चुनाव लड़ना चाहती है बीजेपी - विपक्ष
  • लोग पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर बयानबाजी कर रहे हैं- नलिन कोहली
  • योगी के सीएम चुने जाने में संघ का कोई दखल नहीं - वेंकैया
नई दिल्ली:

भगवाधारी संन्यासी योगी आदित्यनाथ के यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद बीजेपी ने उन आरोपों को खारिज किया है, जिसमें कहा गया कि आदित्यनाथ को सीएम बनाया जाना यह दर्शाता है कि बीजेपी देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश की ओर अग्रसर है. बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा है कि लोग पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर ऐसी बातें कर रहे हैं, ऐसे तर्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी दिए गए थे. वहीं केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने यूपी के मुख्यमंत्री पद के लिए योगी आदित्यनाथ के चुनाव में कोई हस्तक्षेप नहीं किया था.

यूपी के सीएम के लिए कट्टर हिंदुत्ववादी चेहरा पेश करने के लिए चौतरफा हो रही पार्टी की आलोचनाओं के बीच नायडू ने कहा कि विधायकों ने नेता को चुना है और यही पार्टी की प्रणाली है.  उन्होंने विपक्ष से हार को विनम्रता के साथ स्वीकार करने, जनादेश को स्वीकार करने और नए मुख्यमंत्री को उचित अवसर देने के लिए कहा. नायडू का यह बयान विपक्षी पार्टियों के उन आरोपों के बाद आया है कि भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव विकास के नाम पर नहीं, बल्कि मतदाताओं का ध्रुवीकरण करके लड़ना चाहती है.

नायडू ने कहा, विधायक पार्टी संसदीय बोर्ड के तहत नेता को चुनते हैं. भाजपा में यही तरीका है. आरएसएस कभी हस्तक्षेप नहीं करता ओैर किसी नाम का सुझाव नहीं रखता है. उन्होंने कहा कि निर्वाचित विधायकों से विचार विमर्श के बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को विधायकों की राय से अवगत करा दिया था.

वेंकैया नायडू ने कहा, मैंने विधायकों के साथ बैठक की और उस बैठक में सुरेश खन्ना ने योगी आदित्यनाथ के नाम का प्रस्ताव रखा तथा नौ अन्य ने उनका समर्थन किया. सभी विधायक खडे हो गए और सर्वसम्मति से उनके नाम पर सहमत हो गए, तो यह विधायकों का निर्णय है जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने मंजूरी दी थी.'


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