कर्नाटक में बीजेपी सरकार, कांग्रेस हुई 'नर्वस नाइंटीज' का शिकार, 5 बड़ी बातें

कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा ने आखिरकार विश्वासमत हासिल कर लिया है. सरकार के पक्ष में 105 वोट पड़े हैं जबकि कांग्रेस के पक्ष में 99 वोट पड़े.

नई दिल्ली: कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा ने आखिरकार विश्वासमत हासिल कर लिया है. सरकार के पक्ष में 105 वोट पड़े हैं जबकि कांग्रेस के पक्ष में 99 वोट पड़े. क्रिकेट की भाषा में कहें तो कांग्रेस 'नर्वस नाइंटीज' का शिकार हो गई है. दरअसल 16 विधायकों को स्पीकर की ओर से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से बीजेपी के लिए राह आसान हो गई थी क्योंकि सदन में बहुमत का आंकड़ा 105 पहुंच गया था. विश्वास मत पर चर्चा के दौरान बीएस येदियुरप्पा ने कहा, ' मैं बदले की राजनीति में शामिल नही हैं. मैं भूलने और माफ करो के सिद्धांत में विश्वास करता हूं. गौरतलब है कि 16 विधायकों का सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिर गई थी. इसके बाद येदियुरप्पा की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया गया. राज्यपाल की मंजूरी के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उन्हें एक हफ्ते का समय दिया गया. वहीं दूसरी ओर से अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने कहा है कि वे स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.

5 बड़ी बातें

  1. बीएस येदियुरप्पा ने कम संख्या बल वाली विधानसभा में एक पंक्ति का प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया कि सदन को उनके नेतृत्व वाली सरकार में भरोसा है.

  2. अपनी टिप्पणी में येदियुरप्पा ने कहा कि वह “प्रतिशोध की राजनीति” में लिप्त नहीं होंगे और वह “भूलने एवं माफ करने के सिद्धांत” में विश्वास करते हैं.  उन्होंने कहा कि प्रशासनिक तंत्र पटरी से उतर चुका है और उनकी प्राथमिकता इसे वापस पटरी पर लाने की है. 

  3. बीजेपी के विश्वास मत आसानी से हासिल करने की उम्मीद थी क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष के.आर रमेश कुमार द्वारा 17 बागी विधायकों को रविवार को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद 225 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की संख्या घट कर 208 रह गई थी.

  4. इस लिहाज से सदन में बहुमत के लिए महज 105 विधायकों का समर्थन चाहिए था जो भाजपा के मौजूदा विधायकों के बराबर है और पार्टी को एक निर्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है. 

  5. विधानसभा में कांग्रेस के 66, जद (एस) के 34 सदस्य हैं और एक अध्यक्ष (बराबरी की सूरत में जिनका वोट अहम होता है) और एक बर्खास्त बसपा सदस्य था.