बोफोर्स मामला फिर से खुल सकता है, CBI ने दिया संकेत

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने आज यानी शुक्रवार को संसदीय समिति से कहा है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स मामले को दोबारा खोला जा सकता है.

बोफोर्स मामला फिर से खुल सकता है, CBI ने दिया संकेत

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • बोफोर्स केस फिर से खुल सकता है सीबीआई ने यह संकेत दिया
  • पार्लियामेंटरी पैनल के समक्ष सीबीआई ने जवाब दिया
  • पैनल के अधिकांश सदस्य चाहते हैं कि इस पर फिर जांच हो
नई दिल्ली:

बोर्फोस केस एक बार फिर से खोला जा सकता है जिससे राजनीति के एक बार फिर से इस मसले पर गरमाने के पूरे पूरे आसार जताए जा रहे हैं. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने आज यानी शुक्रवार को संसदीय समिति से कहा है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स मामले को दोबारा खोला जा सकता है.

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इस संसदीय समिति में से अधिकांश का मानना था कि सीबीआई मामले की जांच फिर से शुरू करे और इसे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करे. सीबीआई यह संकेत दे चुकी है कि वह सुप्रीम कोर्ट में वह इस बाबत स्पेशल लीव पिटीशन का समर्थन कर सकती है. अप्रैल 1987 में स्वीडिश रेडियो ने दावा किया था स्वीडिश आर्म्स मैन्युफैक्चरर एबी बोफोर्स ने भारतीय नेताओं और रक्षाकर्मियों को घूस दी. सीबीआई ने जनवरी 1990 में मार्टिन अर्बो (एबी बोफोर्स के तत्कालीन प्रेजिडेंट जो विन चड्डा और हिंदुजा भाइयों के बीच बिचौलिया बताए जा रहे थे, के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर की. इसमें उन पर आपराधिक षड़यंत्र, धोखाधड़ी संबंधी कई धाराएं लगाई गईं. 

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बता दें कि बोफोर्स दलाली मामले की जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया है. यह आवेदन उस वक्त दायर किया गया है जब एक मीडिया रिपोर्ट में वर्ष 1986 के 1,437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप सौदे के लिए वित्तीय लाभ पहुंचाने और हासिल करने की बात कही गई है.  बीजेपी नेता एवं अधिवक्ता अजय अग्रवाल की ओर से दायर याचिका में सीबीआई की आरोपियों के साथ कथित तौर पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि जांच एजेंसी ने 31 मई, 2005 के दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती नहीं दी जिसमें यूरोप में रह रहे हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज किया गया था.

बीजेपी नेता एवं अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने दी थी चुनौती
अग्रवाल ने हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी है. सर्वोच्च अदालत ने 18 अक्तूबर, 2005 को उनकी उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था जिसे सीबीआई द्वारा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं किए जाने के बाद दायर किया गया था. अपने आवेदन में अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने जनहित में अपील दायर की है क्योंकि सीबीआई आगे नहीं आई और यह कहा गया कि कानून मंत्रालय से एजेंसी को अनुमति नहीं दी गई, जबकि हाईकोर्ट का आदेश गैरकानूनी था. 

सीबीआई और आरोपियों के बीच कथित मिलीभगत के आरोप को ठोस बनाने के प्रयास के तहत अग्रवाल ने अपने आवेदन में उस पूरे घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया जिसके चलते इतालवी कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोच्ची के लंदन स्थित बैंक खाते पर 2006 में रोक लगा दी गई थी और इसके लिए तत्कालीन सॉलीसीटर जनरल बी दत्ता इंग्लैंड गए थे. 

अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने पूरे बोफोर्स घोटाले और क्वात्रोच्ची के लंदन स्थित बैंक खाते में जमा की गई कथित रिश्वत की रकम के ब्यौरे तथा 16 जनवरी, 2006 को खाते पर रोक लगाए जाने के बाद घटनाक्रमों की फिर से जांच की मांग करते हुए बीते तीन अगस्त को सीबीआई को पत्र लिखा था. वकील की ओर से दायर याचिका का इस संदर्भ में भी खासा महत्व है कि बीजेपी सांसदों ने मीडिया में आई खबरों के मद्देनजर संसद में बोफोर्स मामले की जांच को फिर से खोलने की मांग की. 

वीडियो- फिर खुल सकता है बोफोर्स घोटाला


खबरों में कहा गया है कि स्वीडिश जांच अधिकारी स्टीन लिंडस्ट्रॉम के मुताबिक कथित रिश्वत की रकम शीर्ष स्तर के लोगों तक गई. संसद में यह मामला उठने के बाद अग्रवाल ने रिश्वत की रकम की लेनदेन की पूरी श्रृंखला की फेमा-1999 तथा धन शोधन की रोकथाम कानून 2002 के तहत जांच करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को लिखा था. बीते 28 जुलाई को ईडी को लिखे पत्र में अग्रवाल ने दावा किया कि कथित अपराधों को 2006 में क्वात्रोच्ची के लंदन स्थित खातों पर रोक लगाए जाने तक निरंतर अंजाम दिया जाता रहा. 

बीजेपी नेता अग्रवाल ने कहा कि तथ्यों और जांच की स्थिति को लेकर सीबीआई को हलफनामा दायर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सर्वोच्च अदालत को अपनी याचिका के जरिए यह समझाने की कोशिश करेंगे कि ‘हाईकोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों को तकनीकी आधार पर खत्म किए और अदालत का आदेश निरस्त करने योग्य है.’

इनपुट : एजेंसियां


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