कोर्ट ने दवाओं की अवैध ऑनलाइन बिक्री को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से पूछे सवाल

जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि आमतौर पर कालेज के छात्र-छात्रायें बिना डाक्टरी सलाह के आनलाइन दवायें मंगा लेते हैं.

कोर्ट ने दवाओं की अवैध ऑनलाइन बिक्री को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से पूछे सवाल

कोर्ट ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से पूछे सवाल (प्रतीकात्मक फोटो)

मुंबई:

बंबई उच्च न्यायालय ने दवाओं की अवैध ऑनलाइन बिक्री पर चिंता जताते हुए महाराष्ट्र सरकार व केंद्र से कहा है कि वे इस बिक्री के नियमन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दें. मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेलुर व न्यायाधीश एन एम जामदार की पीठ ने इसके साथ ही केंद्र से पूछा है कि उसने बिना पर्चे के दवाओं की बिक्री संबंधी आनलाइन विज्ञापनों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं.

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अदालत ने इस संबंध में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिए. अदालत ने बिना डाक्टरी सलाह के दवाओं की आनलाइन बिक्री पर चिंता जताई और इसे गंभीर मुद्दा बताया.

जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि आमतौर पर कालेज के छात्र-छात्रायें बिना डाक्टरी सलाह के आनलाइन दवायें मंगा लेते हैं. इसमें कहा गया है कि दवा और सौंदर्य प्रसाधन कानून 1940 और दवा एवं सौदर्य प्रसाधन नियम 1945 में उन कुछ दवाओं की आनलाइन बिक्री पर रोक है जिनमें डाक्टर की सलाह वाला दवा पर्चा होना अनिवार्य है.

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इस तरह की कुछ दवाओं में गर्भ-निरोधक और नींद की गोलियां तथा गर्भपात की गोलियों सहित कुछ अन्य दवाओं के लिये डाक्टरी सलाह को अनिवार्य बताया गया है.
 


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