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प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगे कहा, ''अमीर है वह पासपोर्ट दिखा देगा लेकिन जो गरीब है वह क्या करेगा? जो दिहाड़ी मजदूर है वह क्या करेंगे? जो भी प्रदर्शन है वह शांतिपूर्वक होने चाहिए.'' वहीं, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार की कार्रवाई पर निंदा की और सभी से शांति की अपील की. उन्होंने कहा, ''भाजपा सरकार ने जनता की आवाज की घोर अनदेखी की है, असहमति को दबाने के लिए निर्दयता से बल प्रयोग किया है, यह लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है.''
सोनिया गांधी ने कहा, ''लोकतंत्र के अंतर्गत लोगों को सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने और अपनी चिंताओं को दर्ज करने का अधिकार है. जनता की आवाज दबाना गलत है. यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों की बात सुने. अभी जो हो रहा है वो लोकतंत्र में अस्वीकार्य है. मौलिक अधिकारों के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है. कांग्रेस देश के लोगों और संविधान के हक में खड़ी है. छात्रों और नागरिकों के संघर्ष में उनके साथ है.''
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नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हो रहे प्रदर्शन और हिंसा में 6 लोगों की मौत हुई. इसकी पुष्टि यूपी के डीजीपी ने की. बिजनौर में दो, मेरठ, संभल, फिरोजाबाद और कानपुर में एक-एक लोगों की मौत हुई है. हालांकि पुलिस का दावा है कि गोली नहीं चलाई गई है. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देशभर मे हिंसक प्रदर्शन जारी है.
अब तक क्या-क्या हुआ?
नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को पास होने के बाद 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पेश किया जहां एक लंबी बहस के बाद यह बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने के बाद यह नागरिकता संशोधन कानून बन गया. इस कानून के विरोध में असम, बंगाल समेत देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए. 15 दिसंबर को इस कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई. इस प्रदर्शन में कई छात्रों समेत पुलिस के कुछ जवान भी घायल हो गए. जामिया की घटना के अगले दिन 16 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सीलमपुर में जमकर प्रदर्शन हुए. इस प्रदर्शन के दौरान पथराव की घटना हुई.
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17 दिसंबर को देश के दूसरे हिस्सों में भी प्रदर्शन शुरू हो गए. जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के समर्थन में देश के कई यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए. कई यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी, 2020 के लिए बंद कर दिया गया है और छात्रों से हॉस्टल खाली करा लिया गया. उधर जामा मस्जिद के इमाम ने कहा है कि इस कानून से देश के मुसलमानों को कोई लेना देना नहीं है. उन्हें नहीं डरना चाहिए. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 19 दिसंबर, 2019 को देश के कई हिस्सों में धारा 144 लागू कर दी गई.
उधर गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि चाहे जितना भी विरोध हो इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. उनका कहना है कि यह कानून देश की जनता के लिए नहीं है, यह कानून उन अल्पसंख्यक लोगों के लिए है जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर भारत में शरणार्थी के रूप में आए हैं.
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