मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार क्या फिर ठंडे बस्ते में? यह है देरी होने के पीछे की कहानी

कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 15 बागी विधायक मंत्री पद के दावेदार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पशोपेश में

मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार क्या फिर ठंडे बस्ते में? यह है देरी होने के पीछे की कहानी

ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो).

भोपाल:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी आलाकमान के बीच बैठकों के कई दौर चले लेकिन कैबिनेट विस्तार में नामों पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया. लिहाजा शिवराज कैबिनेट के दूसरे विस्तार पर अभी भी सस्पेंस के बादल मंडरा रहे हैं. मंगलवार को शिवराज सिंह भोपाल लौट आए और पूरे मामले पर चुप्पी साधे रहे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्यों और केंद्रीय नेतृत्व के बीच नामों पर अंतिम सहमति नहीं बन पाना कैबिनेट विस्तार में देरी की वजह है.

मंगलवार की सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली से लौटे. वे मुख्यमंत्री आवास गए और फिर मंत्रालय में बैठक करने लगे. दिल्ली में वे प्रधानमंत्री समेत पार्टी के आला नेताओं से मिले, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी बैठे. लेकिन अपने मंत्रियों की संख्या पांच से ज्यादा बढ़ा नहीं पाए, जिसकी बात वे पिछले हफ्ते कर रहे थे. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शीघ्र ही मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है. सब पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की है. दिल्ली में चर्चा होनी है उसके बाद शीघ्र विस्तार होगा.

सूत्रों के मुताबिक 22 विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे जिसमें से 18 सिंधिया समर्थक हैं. सिंधिया खेमा चाहता है कि उनके कोटे से 11 मंत्री इन 18 विधायकों में से बनें. फिर चार बचे विधायकों को मंत्री पद दिए जाने का दबाव है. यानी कांग्रेस से बीजेपी में आए 15 बागी मंत्री बनें. इससे बीजेपी के वरिष्ठों में खलबली है. 

दो उप मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर भी सवाल है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के ग्वालियर से दिल्ली सफर को इससे जोड़ा जा रहा है. नरोत्तम मिश्रा को कमलनाथ सरकार गिराने का सूत्रधार माना जाता है. सूत्रों के मुताबिक आलाकमान इंदौर में गुटखा कारोबारी पर छापे और कुछ अधिकारियों के साथ उनके संबंधों को लेकर भी सख्त है. नाराजगी राज्यसभा चुनावों में वोटिंग में हुई गड़बड़ी से भी उपजी है. केंद्रीय नेतृत्व ने बार-बार मंत्रिमंडल में कुछ खास चेहरों को तवज्जो देने पर भी सवाल उठाए हैं. संगठन नए चेहरे चाहता है. इसे लेकर सत्ता-संघ और संगठन में एक राय नहीं बन पाई है.

बीजेपी के प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा कि ''बीजेपी में इस बात की मीमांसा हो रही है कि कैसे मंत्रिमंडल का विस्तार हो. जल्दी इसका खाका सबके सामने आएगा लेकिन बीजेपी को किस तरह कांग्रेस कठघरे में खड़ा कर रही है. हमने कोई औपचारिक तारीख का ऐलान नहीं किया है.''

सत्ताधारी बीजेपी अपने झगड़े नहीं निबटा पा रही है, उधर कांग्रेस सड़क पर उतरी है. वह बीजेपी को लोकतंत्र का हत्यारा बता रही है. सवाल मंत्रिमंडल गठन पर भी पूछ रही है. मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग रही है. कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि ''शिवराज सिंह कितने पंगु साबित हो रहे हैं. एक बस्ता लिया, नाम लिए, एक दरवाजे पर, दूसरे से तीसरे दरवाजे पर.. 100 दिन से अधिक हो गए मंत्रिमंडल नहीं बना. इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा. जितनी जल्दी हो मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए.''

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राज्य में 24 विधानसभा सीटों के उपचुनावों से पहले बीजेपी को दिक्कत बागियों से भी है. कई मंत्री पार्टी छोड़ने की धमकी दे रहे हैं, तो भंवर सिंह शेखावत जैसे नेता कैलाश विजयवर्गीय पर पार्टी को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं.