फाइल फोटो
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) भारतीय अर्थव्यवस्था पर विवादास्पद नोटबंदी के प्रभावों की जांच कर रहे हैं और यह रपट अगले वर्ष संसद के बजट सत्र से पहले तैयार हो सकती है. सूत्रों ने हालांकि कहा कि 2019 के चुनाव वर्ष होने की वजह से यह पूर्णकालिक बजट सत्र नहीं होगा, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार इसे सदन पटल पर रखेगी या नहीं. पिछले सप्ताह 60 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने सीएजी को पत्र लिखा था और आरोप लगाया था कि नोटबंदी पर रपट में जानबूझकर देरी की जा रही है, ताकि सरकार को अगले वर्ष होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव में 'शर्मिदगी' नहीं झेलनी पड़े.सीएजी कार्यालय में मौजूद सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) या सार्वजनिक बैंकों की जांच करना सीएजी के क्षेत्राधिकार से बाहर है, फिर भी सीएजी नोटबंदी से जुड़े मुद्दे और इससे उत्पन्न प्रभाव की जांच कर रहा है. एक सूत्र ने कहा, "हम आरबीआई की जांच नहीं कर रहे हैं. यह जांच करना हमारे क्षेत्राधिकार से बाहर है. हमारे पास आरबीआई या सार्वजनिक बैंकों की समीक्षा का अधिकार नहीं है. जो मुद्दे नोटबंदी से जुड़े हैं, उसपर ध्यान दिया जा रहा है. इसे रपट में शामिल किया जाएगा और बजट सत्र में सदन पटल पर रखा जाएगा."
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उन्होंने कहा कि जांच निष्कर्ष रपट नंबर 1 का हिस्सा होगा, जिसे हमेशा बजट सत्र में पेश किया जाता है. सूत्र के अनुसार, "लेकिन इसबार पूर्णकालिक सत्र नहीं होगा. हम इसे समय पर भेज देंगे वे(सरकार) इसे पेश करते हैं या नहीं, यह अलग मुद्दा है."
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गौरतलब है कि अहम पदों पर काम कर चुके 60 रिटायर्ड अधिकारियों ने रफाल डील और नोटबंदी पर सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में हो रही देरी का सवाल राष्ट्रपति के सामने रख दिया है. एनसी सक्सेना, रिटायर्ड IAS अधिकारी ने कहा, “ राफेल डील को साइन किए हुए साढ़े तीन साल हो गए हैं, लेकिन कैग अभी तक ऑडिट नहीं कर पाया है. ऐसा लगता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रेशर पड़ा हो कैग पर रिपोर्ट नहीं लाने के लिए. नोटबंदी पर आरबीआई ने कहा है कि कोई लाभ नहीं हुआ. दो साल हो गए, लेकिन कैग ने अभी तक ऑडिट नहीं किया. इस पर हमारी चिंता है.
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