केरल में एक प्रेग्नेंट हथिनी की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच, याचिका दाखिल

याचिका में कहा गया है कि हथिनी की पटाखे से भरे अनन्नास की वजह से मौत हुई, वह भयानक दुखद, क्रूर और अमानवीय कृत्य है, सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देना चाहिए

केरल में एक प्रेग्नेंट हथिनी की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच, याचिका दाखिल

केरल में हथिनी को पटाखे खिलाने से उसकी मौत हो गई.

नई दिल्ली:

केरल में एक गर्भवती हथिनी की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में अदालत की निगरानी में मामले की जांच की सीबीआई या एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की याचिका वकील अवध बिहारी कौशिक द्वारा दायर की गई है.

याचिका में कहा गया है कि जिस तरह गर्भवती हथिनी की पटाखे से भरे अनन्नास की वजह से मौत हुई है, वो भयानक, दुखद, क्रूर और अमानवीय कृत्य है. सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि यह घटना अपनी तरह की पहली घटना नहीं है, इससे पहले इसी तरह की घटना केरल के कोल्लम जिले में अप्रैल 2020 में हुई थी जिसमें इसी तरह एक हथिनी की मौत हो गई थी. 

गौरतलब है कि केरल में एक प्रेग्नेंट हथिनी (Pregnant Elephant) की पशु दुर्व्यवहार के सबसे क्रूर रूप का सामना करने के बाद पिछले बुधवार को उसकी मौत हो गई. हथिनी ने एक अनानास खाया था, जिसमें बहुत से पटाखे भरे हुए थे और उसे वो अनानास वहां के कुछ लोगों द्वारा दिया गया था. हथिनी के मुंह में ही यह अनानास फट गया, जिसकी वजह से उसका मुंह बुरी तरह से जख्मी हो गया. उत्तरी केरल के मलप्पुरम जिले में एक वन अधिकारी द्वारा सोशल मीडिया पर हथिनी की भयानक मौत का विवरण सुनाए जाने के बाद यह घटना सामने आई.

यह हथिनी खाने की तलाश में जंगल से बाहर पास के गांव में चली गई थी. वह गांव की सड़कों पर घूम रही थी और तभी वहां के कुछ लोगों ने उसे पटाखों से भरा हुआ अनानास खाने के लिए दिया. वन अधिकारी मोहन कृष्णन्न ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ''हथिनी ने सब पर भरोसा किया. जब उसके मुंह में वो अनानास फटा होगा तो वह सही में डर गई होगी और अपने बच्चे के बारे में सोच रही होगी, जिसे वह 18 से 20 महीनों में जन्म देने वाली थी. ''

अनानास में डाले गए पटाखे इतने खतनाक थे कि उसकी जीभ और मुंह बुरी तरह से जख्मी हो गए. हथिनी गांवभर में दर्द और भूख के मारे घूमती रही और अपनी चोट की वजह से वह कुछ खा भी नहीं पा रही थी. उन्होंने आगे लिखा, ''उसने किसी भी इंसान को नुकसान नहीं पंहुचाया, तब भी नहीं जब वो बहुत ज्यादा दर्द में थी. उसने किसी एक घर को भी नहीं तोड़ा. इस वजह से मैं कह रहा हूं कि वह बहुत अच्छी थी.'' 

आखिर में वह वेलिन्यार नदी में जाकर खड़ी हो गई. वन विभाग के ऑफिसर ने कहा कि उसने ऐसा इसलिए किया होगा ताकि मक्खियां उसके घाव पर ना बैठें. मोहन कृष्णन्न ने लिखा, ''वन विभाग अपने साथ दो हाथियों को लेकर गया जिनका नाम सुंदरम और नीलकांतम है. ताकि  उसे नदी से बाहर निकाल सकें लेकिन उसने किसी को अपने नजदीक नहीं आने दिया.'' अधिकारियों द्वारा कई घंटों तक कोशिश किए जाने के बाद भी वह बाहर नहीं आई और 27 मई को दोपहर 4 बजे पानी में खड़े-खड़े उसकी मौत हो गई. 

इसके बाद उसे एक ट्रक में वापस वन में ले जाया गया, जहां अधिकारियों ने उसे अंतिम विदाई दी. वन अधिकारी ने कहा, ''उसे उस तरह से विदा किया जाना जरूरी था, जिसकी वह हकदार थी. जिस जगह वह खेल कर बढ़ी हुई, उसी जगह उसे अंतिम विदाई दी गई. जिस डॉक्टर ने हथिनी का पोस्टमार्टम किया उन्होंने बताया कि वह अकेली नहीं थी. हमने वहां एक चिता में उसका अंतिम संस्कार किया. हम उसके सामने झुक गए और अपना अंतिम सम्मान दिया.''

VIDEO : हथिनी के तीन हत्यारों की पहचान हुई

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