यह ख़बर 03 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

ओवैसी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज

खास बातें

  • हैदराबाद की एक अदालत ने पुलिस को मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी अदालत के आदेश का सम्मान करेगी।
हैदराबाद/नई दिल्ली:

हैदराबाद की एक अदालत ने पुलिस को मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी अदालत के आदेश का सम्मान करेगी।

चतुर्थ अतिरिक्त महानगर दंडाधिकारी की अदालत ने उस्मानिया विश्वविद्यालय थाना की पुलिस को यह निर्देश दिया है। अकबरुद्दीन ने 24 दिसंबर को आदिलाबाद जिले में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया था। उस्मानिया विश्वविद्यालय इलाके के निवासी वेंकटेश गौड़ ने इस संबंध में अदालत में अर्जी दायर की है।

अकबरुद्दीन एमआईएम के विधायक हैं और आंध्र प्रदेश विधान सभा में पार्टी के नेता हैं। वे एमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई हैं।

भड़काऊ भाषण देने के मामले में ही दायर अर्जी पर अकबरुद्दीन के खिलाफ दूसरी अदालत भी आदेश देने की तैयारी में है। छठे अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी की अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह अर्जी काशिमशेट्टी करुणा नाम के एक वकील ने दायर की है।

वादी ने अदालत से ओवैसी के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 295 (विद्वेषपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण काम करने, धर्म और धार्मिक भावनाओं को आहत कर सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने), धारा 153 ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता भड़काना) और अन्य संगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आग्रह किया है। वादी ने विधायक की ओर से धमकी दिए जाने का भी आरोप लगाया है।

समाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भी नई दिल्ली के संसद मार्ग थाने में विधायक के खिलाफ एक समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने की शिकायत की है।

इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी ने गुरुवार को कहा कि अकबरुद्दीन के मामले में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और पुलिस को कानून के मुताबिक काम करना है।

उन्होंने कहा कि आदिलाबाद और निजामाबाद जिलों में अकबरुद्दीन के भड़काऊ भाषण देने की जानकारी सरकार को मिली है।

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पिछले साल नवंबर में कांग्रेस से गठबंधन तोड़ लेने वाली एमआईएम ने रैली आयोजित की थी। इस रैली को पार्टी ने किरण सरकार की सांप्रदायिक नीतियों की पोल खोलने वाली रैली बताया था।