कैट्स की 102 नंबर की सेवाएं अनिश्चितकालीन ठप

नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार के तहत आने वाली कैट्स एंबुलेंस के कर्मचारी निजीकरण के विरोध में सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर हैं। जिसकी वजह से कैट्स की 152 एंबुलेंस ठप्प है। खासबात ये है कि अगले कुछ महीनों में 110 एंबुलेंस कैट्स के बेड़े में और शामिल की जानी है। लिहाजा ऑपरेशन और मैनेजमेंट की जिम्मेदारी के लिए स्वास्थ्य विभाग ने टेंडर जारी कर प्राइवेट सेक्टर को मौका देने की पहल की जिसका विरोध शुरू हो गया।

कैट्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी के महासचिव सुरेंद्र सिंह चिकारा का कहना है कि जब तक टेंडर की प्रक्रिया पर पूरी तरह से विराम नहीं लग जाता तब तक हमारे 800 कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। मसलन कर्मचारी दफ्तर तो आएंगे, लेकिन किसी कॉल पर कोई भी गाड़ी नहीं जाएगी। कैट्स के पास रोजाना करीब साढ़े चार सौ कॉल्स आती हैं। इनमें ज्यादातर हादसे या फिर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने से जुड़ी होती हैं। हड़ताल से पहले रविवार को कैट्स कर्मचारियों की निदेशक से तीन घंटे तक बातचीत चली, टेंडर के नियमों में कांट्रेक्ट के कर्मचारियों को लेकर बदलाव भी किया गया, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल सका।

कैट्स के निदेशक डॉक्टर वसंता कुमार एन का कहना है कि हड़ताल दबाव बनाने के लिए है। हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया जो कर्मचारियों का अहित करता हो। यहां तक कि कल की मैराथन मीटिंग के बाद हमने कांट्रेक्ट कर्मचारियों को लेकर बदलाव तक किया कि यह कर्मचारी टेंडर के बाद भी किसी प्राइवेट कंपनी के तहत नहीं आएंगे। वो हमारे अधीन थे और रहेंगे। साथ ही टेंडर की तारीख भी हमने 13 से बढ़ाकर 20 फरवरी कर दी है, तब तक कोई न कोई सरकार सत्ता में आ जाएगी। फिर वो देखें कि इनका क्या करना है।

उधर, सिंघु बॉर्डर पर हादसे में एक शख्स की मौत हो गई। सत्यवादी राजा हरिशचंद्र अस्पताल के सीएमओ डॉ मुकेश भारती का कहना है कि इस मरीज को पुलिस की पीसीआर वैन अस्पताल लेकर आई और देरी हो गई। कुछ पहले लाया जाता तो जान बच सकती थी। मुमकिन है कि कैट्स कर्मचारियों की हड़ताल के चलते मरीज को लाने में देरी हुई।  

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लोगों की जिंदगी बचाने वाले कैट्स के कर्मचारी फिलहाल अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं और सड़कों से गाड़ियां तब तक नदारद रहेंगी जब तक इनके भविष्य का फैसला नहीं हो जाता।