यह ख़बर 08 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कावेरी मुद्दा अब प्रधानमंत्री के पाले में...

खास बातें

  • कावेरी जल विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी अब लौटकर प्रधानमंत्री के पाले में आ गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री कर्नाटक की इस अपील पर फैसला ले सकते हैं कि कावेरी का पानी तमिलनाडु को देना तुरंत बंद करने की अनुमति दी जाए।
नई दिल्ली/बेंगलुरू:

कावेरी जल विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी अब लौटकर प्रधानमंत्री के पाले में आ गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री कर्नाटक की इस अपील पर फैसला ले सकते हैं कि कावेरी का पानी तमिलनाडु को देना तुरंत बंद करने की अनुमति दी जाए।  

सर्वोच्च न्यायालय के इस स्पष्टीकरण के तुरंत बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने नई दिल्ली में घोषणा की कि राज्य की ओर से प्रधानमंत्री को सोमवार देर रात या मंगलवार को आवेदन दिया जाएगा कि वह 19 सितम्बर के अपने आदेश को स्थगित कर दें जिसमें 20 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक कावेरी का 9,000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देने को कहा गया था।  

प्रधानमंत्री ने यह आदेश कावेरी नदी प्राधिकरण (सीआरए) के अध्यक्ष की हैसियत से दिया था।

कर्नाटक सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीके जैन और न्यायमूर्ति बी. लोकुर की खंडपीठ ने कहा, "28 सितम्बर को जारी हमारा आदेश सीआरए के अध्यक्ष द्वारा फैसला लिए जाने में किसी तरह बाधक नहीं बनेगा। वह चाहें तो कर्नाटक सरकार के आवेदन पर विचार कर सकते हैं।"

ज्ञात हो कि सीआरए के आदेश का पालन नहीं करने पर सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितम्बर को राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद 29 सितम्बर से कर्नाटक तमिलनाडु को 9,000 क्यूसेक पानी दे रहा है।

तमिलनाडु को 9,000 क्यूसेक पानी रोजाना दिए जाने के विरोध में बेंगलुरू, कावेरी बेसिन जिलों- मैसूर तथा चामराजानगर में रोजाना प्रदर्शन हो रहे हैं। शनिवार को इसी मुद्दे को लेकर राज्यव्यापी बंद का आयोजन किया गया था।

बढ़ते विरोध को देखते हुए कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय मंत्री और राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसदीय दल के सदस्य सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले और उनसे कावेरी का पानी तमिलनाडु को जारी करना तुरंत बंद करने की अनुमति देने की अपील की।

कावेरी बेसिन वाले जिले मांड्या से ताल्लुक रखने वाले विदेश मंत्री एसएम कृष्णा, केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे, रेल राज्यंत्री केएच मुनियप्पा और राज्य कांग्रेस के नेता एचके पाटील ने प्रधानमंत्री को राज्य में सूखे की विकट स्थिति से अवगत कराया।

प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद खड़गे ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से समस्या का हल जल्द से जल्द निकालने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, "स्थिति बहुत विकट है। इसलिए हमने प्रधानमंत्री से समाधान निकालने का अनुरोध किया।"

कर्नाटक प्रधानमंत्री से 19 सितम्बर को जारी आदेश वापस लेने की मांग करता रहा है। राज्य सरकार का कहना है कि वह तमिलनाडु को पानी जारी नहीं कर सकती, क्योंकि राज्य 40 साल बाद पड़े भयंकर सूखे का सामना कर रहा है और कावेरी में इतना ही पानी है कि उसकी जरूरतें पूरी हो जाएं यही काफी है।

कृष्णा ने शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि पूरा कर्नाटक इस मामले में तत्काल राहत पाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है। यदि ऐसा नहीं होता है तो कावेरी बेसिन के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

खड़गे ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने मनमोहन सिंह को बताया कि बेंगलुरू, मांड्या, हासन और मैसूर में पेयजल का संकट है तथा कावेरी बेसिन इलाके के खेतों में खड़ी फसलों को पानी की जरूरत है।

मुनियप्पा ने कहा कि कर्नाटक में जून से सितम्बर तक रहने वाला मानसून का मौसम खत्म हो चुका है, जबकि तमिलनाडु में यह मौसम जल्द ही शुरू होगा। तमिलनाडु में उत्तरी-पूर्वी मानसून के दौरान अक्टूबर से दिसम्बर तक सबसे अधिक बारिश होती है।

कर्नाटक के 16 भाजपा सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी मनमोहन सिंह से मिला और राज्य को तुरंत राहत मुहैया कराने की अपील की।

लोकसभा में बेंगलुरू दक्षिण क्षेत्र के सदस्य एवं भाजपा महासचिव एचएन अनंत कुमार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने मनमोहन सिंह को बताया कि तमिलनाडु के पास पर्याप्त पानी है और उसे कर्नाटक से पानी लेने की जरूरत नहीं है। इसलिए वह 19 सितम्बर को जारी अपना निर्देश तुरंत वापस ले लें।      

इस बीच, कयास लगाया जा रहा है कि कावेरी निगरानी समिति की बैठक 11 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगी जिसमें केंद्रीय अधिकारियों के दो दलों की रिपोर्टों पर विचार किया जाएगा। दोनों दलों ने शुक्रवार और शनिवार को दोनों राज्यों का दौरा किया था।

इससे पहले, मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कावेरी मामले में कर्नाटक को राहत देने के लिए केंद्र सरकार को समझाने-बुझाने के उद्देश्य से नई दिल्ली में विदेश मंत्री कृष्णा से मुलाकात की।

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उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सरकार राज्य के 176 अनुमंडलों में से 150 को सूखाग्रस्त घोषित कर चुकी है। राजधानी बेंगलुरू भी काफी हद तक कावेरी के पानी पर निर्भर है।