कर्नाटक: CBI के दस्तावेजों से खुलासा, किस तरह बच निकले 'रेड्डी बंधु'

कर्नाटक सरकार ने वर्ष 2013 में राज्य में अवैध तरीके से लौह अयस्कों के निर्यात का मामला सीबीआई को सौंपा था.

कर्नाटक: CBI के दस्तावेजों से खुलासा, किस तरह बच निकले 'रेड्डी बंधु'

अवैध माइनिंग केस में तीन वर्ष जेल में बिताने के बाद जनार्दन रेड्डी जमानत पर बाहर हैं

खास बातें

  • लौह अयस्कों के अवैध निर्यात का मामला
  • रेड्डी बंधुअों का आया था नाम
  • सीबीआई कर रही है केस बंद
नई दिल्ली:

कर्नाटक सरकार ने वर्ष 2013 में राज्य में अवैध तरीके से लौह अयस्कों के निर्यात का मामला सीबीआई को सौंपा था. आरोपियों में बल्लारी के कद्दावर 'रेड्डी बंधु' का नाम भी शामिल था, जो अभी भाजपा के उम्मीदवार और टॉप प्रचारकों में शामिल हैं. मामला 12,000 करोड़ रुपये मूल्य के लौह अयस्कों के चार राज्यों में फैले 9 पोर्ट के जरिये अवैध निर्यात से जुड़ा था. एनडीटीवी द्वारा देखे गए दस्तावेजों के मुताबिक अब करीब 4 साल बाद जब कर्नाटक चुनाव नजदीक है, सीबीआई ने राज्य-दर-राज्य तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए केस बंद करने शुरू कर दिए हैं. 

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जून 2017 में सीबीआई की गोवा शाखा ने कर्नाटक सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि, उन्हें प्राथमिक जांच बंद करनी पड़ रही है क्योंकि गोवा सरकार ने लौह अयस्क मामले की जांच सिर्फ कनार्टक से ही करने की इजाजत दी है. इसी तरह 8 नवंबर 2017 को सीबीआई की चेन्नई और बंगलौर शाखा के पत्र में तमिलनाडु व कर्नाटक में केस बंद करने के पीछे सरकारी एजेंसी द्वारा डाटा की पुष्टि न होना वजह बताया. 

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दूसरी तरफ, इस मामले में सीबीआई की बंगलौर शाखा ने कहा कि करवार और न्यू मंगलौर पोर्ट से लौह अयस्क के अवैध निर्यात मामले की प्राथमिक छानबीन नियमित शिकायतों में नहीं बदली. इसी तरह सीबीआई की चेन्नई शाखा ने कहा कि, एंटी करप्शन शाखा की तरफ से लौह अयस्कों के अवैध निर्यात मामले में कोई केस दर्ज नहीं कराया गया. क्योंकि इसके लिए उन्हें केंद्र से सहमति का नोटिफिकेशन नहीं मिला. जवाब में कांग्रेस की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने सीबीआई से सारे केस वापस लेने और राज्य स्तरीय एसआईटी मामले की जांच कराने से संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया. गौरतलब है कि कर्नाटक में 12 मई को होने वाले चुनावों में 'रेड्डी बंधु' बेल्लारी से उम्मीदवार हैं. वहीं तीसरे भाई, जनार्दन रेड्डी भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हैं. भाजपा का कहना है कि क्षेत्र में चुनाव जीतने के लिए उनकी जरूरत है. 

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