केंद्र सरकार के अधीन "पान की दुकान" बन गई है CBI, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री ने किया हमला

Supreme Court ने अपने निर्णय में कहा था कि CBI राज्य सरकार की सहमति के बिना किसी मामले में जांच शुरू नहीं कर सकती और केंद्र सरकार राज्य की सहमति के बगैर जांच एजेंसी के क्षेत्राधिकार का दायरा बढ़ाकर राज्य के मामलों में लागू नहीं कर सकता.

केंद्र सरकार के अधीन

मुंबई:

महाराष्ट्र सरकार Maharashtra Minister) के मंत्री असलम शेख ने सीबीआई के क्षेत्राधिकार (CBI Jurisdiction) पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. शेख ने कहा है कि भाजपा सरकार के अधीन केंद्रीय जांच एजेंसी पान की दुकान बन गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में एक फैसले में कहा है कि राज्य सरकार की सहमति के बिना केंद्र सीबीआई के क्षेत्राधिकार को राज्यों पर लागू नहीं कर सकता है.

राज्य के मत्स्य एवं कपड़ा मंत्री शेख ने सीबीआई ((CBI) के क्षेत्राधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है. शेख ने आरोप लगाया कि सीबीआई अभी तक किसी भी जगह जाकर खासकर गैर भाजपाशासित राज्य में किसी पर भी मुकदमा दर्ज कर लेती थी. उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि CBI ने मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की. हम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने निर्णय में कहा था कि CBI राज्य सरकार की सहमति के बिना किसी मामले में जांच शुरू नहीं कर सकती और केंद्र सरकार राज्य की सहमति के बगैर जांच एजेंसी के क्षेत्राधिकार का दायरा बढ़ाकर राज्य के मामलों में लागू नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई ने सीबीआई के क्षेत्राधिकार को तय करने वाले दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैबलिशमेंट एक्ट को उल्लेख करते हुए यह निर्णय सुनाया है.

राज्यों की रजामंदी अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय़ के मुताबिक, कानून कहता है कि राज्य की रजामंदी अनिवार्य है और केंद्र राज्य की मंजूरी लिए बगैर सीबीआई के क्षेत्राधिकार का उन राज्यों में विस्तार नहीं कर सकता. यह कानून देश के संविधान में उल्लिखित संघीय ढांचे के अनुरूप है.

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आठ विपक्षी राज्यों ने वापस ली मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय इस मायने में महत्वपूर्ण है कि विपक्षशासित आठ राज्यों-राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब और मिजोरम ने उनके राज्यों में सीबीआई जांच को स्वतः मंजूरी के लिए दी गई सहमति वापस ले ली है. इन राज्यों से जुड़े मामलों में जांच के लिए सीबीआई को अब उनकी अनुमति लेनी होगी. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2019 के एक आदेश को पलटते हुए यह निर्णय सुनाया है.