सीबीआई ने गृहमंत्रालय के अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया

सीबीआई ने गृहमंत्रालय के अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया

सीबीआई कार्यालय (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

सीबीआई ने गृह मंत्रालय के एक अंडर सेक्रेटरी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। सीबीआई को आनंद जोशी के घर से मंत्रालय की फ़ाइलें भी मिली हैं। अफसर पर आरोप है कि वो विदेशी चंदा नियमन कानून यानी एफसीआरए (FCRA) के मामलों से मिली जानकारियों का इस्तेमाल एनजीओ को ब्लैकमेल करने में करता था। इसके अलावा एनजीओ को एफसीआरए की मंजूरी दिलाने के लिए फाइलों में हेराफेरी करने का भी आरोप है।

अब सीबीआई का कहना है गृह मंत्रालय से ही वसूली का धंधा चल रहा था और इस धंधे को इस बिल्डिंग से जोशी ही चला रहा था।

सीबीआई के मुताबिक़ आनंद जोशी कई NGOs को FCRA का नोटिस जारी कर उनसे पैसे वसूल किया करता था। इन सब NGOs को विदेश से फ़ंडिंग मिलती है। सीबीआई का कहना है कि जोशी को कुछ निजी कम्पनियों से रिश्वत के तौर पर अचल संपत्ति भी मिली और जोशी NGOs को उनके बारे में जानकारी देकर उनसे रिश्वत भी लेता था।
 
गृह मंत्रालय ने ये मामला सीबीआई को तब दिया जब तीस्ता सीतलवाड के NGO सबरंग के मसले से ताल्लुक रखने वाली फ़ाइलें ग़ायब हो गईं। बाद में फाइलें मिल भी गईं। जोशी के घर से 7.5 लाख रुपये के अलावा गृह मंत्रालय और आईबी की फ़ाइलें मिली हैं जिन्हें वो घर नहीं ले जा सकते थे। नियमों के मुताबिक़ संयुक्त आयुक्त और उसके ऊपर के अफसर ही फ़ाइल घर ले जा सकते हैं।

सीबीआई ने जोशी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का कमला दर्ज किया है और उसके घर के अलावा तीन जगह जिसमें नॉर्थ ब्लाक शामिल है - रेड भी मारी है।
 
उधर जोशी की पत्नी ने अपने पति के सीनियर अधिकारी पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। आनंद जोशी की पत्नी मीनाक्षी ने कहा, "मेरे पति को झूठा फंसाया जा रहा है। उनके सीनियर ड्राइवर के ज़रिए ही फाइलें घर भेजते थे।'

ख़ुद आनंद जोशी ने भी माना कि उनके सीनियर उन्हें कई NGOs को क्लीन चिट देने के लिए उन पर दावाब बना रहे थे। जब उन्होंने अपने सीनियर की नहीं मानी तो उन्हें इस मामले में फंसा दिया गया।
 
लेकिन सीबीआई ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया। सुबह सीबीआई की टीम ने आनंद जोशी को साथ लेकर उनके बैंक खातों और लॉकरों की तलाशी ली।
 
दरअसल ये कहानी बड़ी इसलिए है क्योंकि ये बताती है कि किस तरह विदेशी कम्पनियां सरकारी बाबूओं को कुछ पैसा देकर सरकार के फ़ैसले बदलवाने का काम करती हैं और अगर बदलवा नहीं सकती तो सिस्टम को कैसे ओवर रूल किया जा सकता है इसके बारे में जानकारी हासिल करती हैं। और क्योंकि गृह मंत्रालय में सभी मामले काफ़ी संवेदनशील होते हैं, इसलिए ये मामला काफ़ी गम्भीर है।


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