भारत-पाक के बीच युद्धविराम के 13 साल पूरे : बस नाम का रह गया सीज़फायर

भारत-पाक के बीच युद्धविराम के 13 साल पूरे : बस नाम का रह गया सीज़फायर

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...

खास बातें

  • 13 सालों में कितनी दफा युद्धविराम उल्‍लंघन हुआ, गिनती कर पाना मुश्किल.
  • युद्धविराम ने खुशी कम, गम और जख्म ही ज्यादा दिए हैं.
  • पाकिस्तान बार-बार युद्धविराम की धज्जियां उड़ा रहा है.
नई दिल्‍ली:

भारत और पाकिस्तान के बीच सरहद पर आपसी भरोसे और शांति कायम रखने के लिए किए गए युद्धविराम के 13 साल पूरे हो गए. 13 सालों में कितनी दफा युद्धविराम का उल्‍लंघन हुआ है, इसकी गिनती कर पाना भी अब मुश्किल हो गया है. हजार से ज्यादा बार युद्धविराम का उल्‍लंघन हो चुका है और जैसे लगता है कि ये बस एक औपचारिकता भर रह गया है.

वैसे सच कहें तो ये युद्धविराम एक खोखला समझौता ही साबित हुआ है. इसने खुशी कम, गम और जख्म ही ज्यादा दिए हैं. दोनों मुल्कों के बीच 25 नवंबर 2003 मध्य रात्रि को युद्धविराम लागू हुआ था, लेकिन न तो सीमा पर रहने वाले चैन से रह पाए और न ही सीमा की हिाफाजत कर रहे सुरक्षा बलों को आराम मिला. पाकिस्तान कभी गोले बरसाकर तो कभी आतंकियों की घुसपैठ करवाकर युद्धविराम की धज्जियां उड़ा रहा है.
 
जब से भारतीय सेना ने उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमला का बदला लेने के लिए एलओसी पार आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की, तब से तो पाकिस्तान बौखला गया है. उसने गोलाबारी की सारी हदें पार कर दी हैं. करीब 20 जवान शहीद हो गए हैं और दस से ज्यादा आम लोग मारे जा चुके हैं. हालत ये हैं कि सरहद के करीब सारे स्कूल बंद कर दिए गए हैं ताकि भारी गोलाबारी से बच्चों का नुकसान न हो.


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