आईटीआर भरने वालों की संख्या में हुई 1 करोड़ की वृद्धि, क्या नोटबंदी से हुआ इजाफा?

आयकर विभाग ने गुरुवार को कहा कि 2017-18 में उसने 1.07 करोड़ नए करदाता जोड़े जबकि ड्रोप्ड फाइलरों (पहले आईटीआर फाइल करने और बाद में छोड़ देने वालों) की संख्या घटकर 25.22 लाख रह गयी.

आईटीआर भरने वालों की संख्या में हुई 1 करोड़ की वृद्धि, क्या नोटबंदी से हुआ इजाफा?

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

आयकर विभाग ने गुरुवार को कहा कि 2017-18 में उसने 1.07 करोड़ नए करदाता जोड़े जबकि ड्रोप्ड फाइलरों (पहले आईटीआर फाइल करने और बाद में छोड़ देने वालों) की संख्या घटकर 25.22 लाख रह गयी. यह नोटबंदी के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है. एक बयान में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में 6.87 करोड़ आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल किए गए, जबकि 2016-17 में 5.48 करोड़ आईटीआर फाइल किये गये थे यानी इस मोर्चे पर 25 फीसदी वृद्धि हुई. 

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इसी के साथ 2017-18 में आईटीआर दाखिल करने वाले नये करदाताओं की संख्या बढ़कर 1.07 करोड़ हो गयी जबकि 2016-17 में 86.16 लाख नये करदाता जुड़े थे. सीबीडीटी ने कहा, ‘‘नोटबंदी ने कर आधार और प्रत्यक्ष कर संग्रहण के दायरे में विस्तार में असाधारण रूप से सकारात्मक असर डाला.'' 

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ड्रोप्ड फाइलर ऐसे करदाता होते हैं जो पहले तो आईटीआर फाइल करने वालों में शामिल होते हैं लेकिन किन्हीं तीन लगातार वित्त वर्ष में आईटीआर फाइल नहीं करते. ऐसे लोगों की संख्या 2016-17 में 28.34 लाख थी जो घटकर 2017-18 में 25.22 लाख रह गयी. सीबीडीटी ने कहा कि 2016-17 की तुलना में 2017-18 में विशुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण 18 फीसद बढ़कर 10.03 लाख करोड़ हो गया. 

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(इनपुट भाषा से)