'आप कानून वापसी की जिद छोड़ें, हम कमी दूर करने को तैयार', 10वें दौर की वार्ता से पहले बोली सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी थी और मामले की समीक्षा के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी. कोर्ट ने कमेटी से दो महीने के अंदर रिपोर्ट मांगी है. कमेटी को सभी पक्षों से बात कर अपनी रिपोर्ट देने ही लेकिन किसान संगठनों ने कमेटी को पक्षपाती बताते हुए उनसे बात करने से इनकार कर दिया है.

खास बातें

  • 10वें दौर की वार्ता से पहल केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को भेजा प्रस्ताव
  • सरकार मंडियों, व्यापारियों के पंजीकरण से जुड़ी शंकाओं को दूर करने को राजी
  • कृषि मंत्री ने कहा- खुले मन से बातचीत करने आएं किसान
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने 10वें दौर की बातचीत से पहले आंदोलनरत किसान यूनियनों  (Farmer Unions) को तीनों कृषि कानून (New Farm Laws) से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने का एक प्रस्ताव भेजा है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने रविवार को कहा कि सरकार ने मंडियों और व्यापारियों के पंजीकरण से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने पर अपनी सहमति जताते हुए किसान संगठनों को नया प्रस्ताव भेजा है, ताकि 10वें दौर की बातचीत में उन पर विचार-विमर्श हो सके.

समाचार एजेंसी ANI से कृषि मंत्री ने कहा, "हमने किसान यूनियनों को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें हम अन्य चीजों के अलावा मंडियों और व्यापारियों के संबंध में उनकी आशंकाओं को दूर करने पर सहमत हैं. सरकार ने पराली जलाने और  बिजली कानूनों पर चर्चा करने के लिए भी सहमति व्यक्त की है, लेकिन किसान संगठन सिर्फ कानूनों को निरस्त कराना चाहते हैं. "

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कृषि मंत्री ने फिर कहा कि सरकार कृषि कानूनों में संशोधन लाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि ये कानून पूरे देश के लिए बनाए गए हैं और कई किसान इन कानूनों से काफी खुश हैं. उन्होंने कहा, "किसान संगठन अपने रुख से टस से मस नहीं हो रहे हैं, वे लगातार कानूनों को निरस्त करने के लिए ही कह रहे हैं. जब सरकार कानून लागू करती है, तो यह पूरे देश के लिए होता है. अधिकांश किसान, विद्वान, वैज्ञानिक और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोग इन कानूनों से सहमत और खुश हैं."

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कृषि मंत्री ने कहा, "अब सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद कानूनों को वापस लेने की मांग का कोई आधार नहीं रह गया है. उन्होंने कहा, जब सुप्रीम कोर्ट ने कानून लागी करने पर ही रोक लगा दिया है तो मैं समझता हूं कि इसे वापस लेने का सवाल ही खत्म हो गया है. मैं किसानों से उम्मीद करता हूं कि 19 जनवरी को होने वाली वार्ता में किसान कानून वापसी की मांग छोड़कर खुले मन से संशोधन के विकल्पों पर बात करेंगे."

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी थी और मामले की समीक्षा के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी. कोर्ट ने कमेटी से दो महीने के अंदर रिपोर्ट मांगी है. कमेटी को सभी पक्षों से बात कर अपनी रिपोर्ट देने ही लेकिन किसान संगठनों ने कमेटी को पक्षपाती बताते हुए उनसे बात करने से इनकार कर दिया है.

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