यह ख़बर 08 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कैग ने लगाया सरकार पर ढिटाई भरने निर्णय लेने का आरोप

खास बातें

  • सीएजी विनोद राय ने विश्व व्यापार मंच के एक सत्र में कहा ‘‘सरकार जिस ढिठाई से निर्णय ले रही है वह अचंभित करने वाला है।’’
गुड़गांव:

कोयला खानों के आवंटन तथा 2-जी स्पेक्ट्रम मामलों पर रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा करने वाले नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोद राय ने बुधवार को कहा कि सरकार जिस ढिठाई के साथ निर्णय ले रही है वह बड़ा ही अचंभित करने वाला है।

राय ने विश्व व्यापार मंच (डब्ल्यूईएफ) के एक सत्र में कहा ‘‘सरकार जिस ढिठाई से निर्णय ले रही है वह अचंभित करने वाला है।’’ उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के आने से शासन और प्रशासन सतर्क हुआ है क्योंकि उन्हें पता है कि कार्यों के लिए अब उन्हें उत्तर देना होगा।

राय ने कहा, ‘‘..हम अब इसको लेकर काफी सतर्क हैं कि हममें से हर कोई अब जवाबदेह होगा।’’ उन्होंने आगे कहा कि आज सब कुछ सार्वजनिक है।

कैग की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने पलटवार के अंदाज में कहा कि अगर वह निर्णय लेने में ढिठाई की बात करते हैं तो सवाल उस समय को लेकर भी हो सकता है जब वह खुद सरकार में थे।

तिवारी ने कहा कि वह निर्णय लेने के मामले में ढिठाई की बात करते हैं तो उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि 2004 से 2008 के बीच जब वह सरकार का हिस्सा थे। यह बात हर उस व्यक्ति पर लागू होती है जो सरकार का हिस्सा है।

कैग ने कहा कि भ्रष्टाचार से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सरकार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को संवैधानिक दर्जा देना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘..यदि आप वास्तव में यह चाहते हैं कि इनमें से कुछ संस्थान (जैसे सीबीआई और सीवीसी) कुछ करके दिखाएं, आपको जोखिम उठाना होगा और .. साहस दिखाते हुए इन्हें संवैधानिक दर्जा देना होगा।’’

विनोद राय ने कहा कि सीबीआई और सीवीसी स्वतंत्र निकाय नहीं है इसीलिए समय समय पर लोग इन्हें सरकार के हाथ की कठपुतली बताते रहते हैं। उन्होंने कहा ‘‘यदि आप चाहते हैं कि लोकपाल पूरी स्वायत्तता और स्वतंत्रता के साथ काम करे तो आपको उसे संवैधानिक दर्जा देना होगा।’’

राय ने कहा कि जहां तक सीबीआई की बात है, ‘‘यह काम करने के लिये पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है, और यही वजह है कि समय समय पर यह लिखा जाता है कि .. सीबीआई सरकार की कठपुतली बन गई है। सीवीसी को देखिए, इस संस्था का खौफ है पर यह बदनाम भी है.. यह एक सांविधिक निकाय तो है, लेकिन इसे संवैधानिक दर्जा नहीं मिला है।’’ भ्रष्टाचार के बारे में राय ने कहा इसे केवल लोकपाल कानून बनाकर ही समाप्त नहीं किया जा सकता।

हालांकि, उन्होंने कहा ‘‘.. यदि हम इसके प्रति वास्तव में सचेत हैं तो देश में सांठगाठ और भाई भतीजावाद कम करके काफी हद तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगा सकते हैं।’’ कैग के आकलनों को लेकर सरकार तथा संबंधित एजेंसियों की तरफ से सवाल उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी तथ्यों को लेकर हमें गलत साबित नहीं कर सकता..आंकड़े को लेकर बहस हो सकती है..अगर यह 1.76 लाख करोड़ रुपये नहीं है तो 1.6 लाख करोड़ रुपये या 2.6 लाख करोड़ रुपये हो सकता है।’’

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उल्लेखनीय है कैग स्वयं में एक संवैधानिक संस्था है और हाल में इसने 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन, कोल ब्लॉक आवंटन, राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों को उजागर किया है। कैग की इन रिपोर्टों पर सरकार की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया हुई। 2जी स्पेक्ट्रम मामले में कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी खजाने को जहां 1.76 लाख करोड़ रुपये का संभावित नुकसान होने का अनुमान जताया वहीं कोयला खानों के आवंटन के मामले में 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही।