केंद्र ने नहीं दिया बिहार में 200 नीलगायों को मारने का आदेश : वन मंत्री

केंद्र ने नहीं दिया बिहार में 200 नीलगायों को मारने का आदेश : वन मंत्री

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • केंद्र सरकार ने नीलगायों को मारने का आदेश देने से किया इनकार।
  • गोली मारकर जानवरों को खत्म करने का कहीं उल्लेख नहीं।
  • पांच राज्यों में जानवरों की वजह से फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान।
नई दिल्ली:

केन्द्र ने इस बात से इंकार किया कि बिहार में उसने 200 नील गायों को गोली मार कर खत्म करने का आदेश दिया। सरकार ने कहा कि उसने इस सन्दर्भ में राज्यों को जो आदेश दिया था उसमें वन्यजीवों को गोली मारने का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है।

पर्यावरण एवं वन मंत्री अनिल माधव दवे ने राज्यसभा में प्रश्नकाल में पूरक सवालों के जवाब में केन्द्र सरकार ने बिहार में 200 नील गायों को गोली मार कर खत्म करने का कोई आदेश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है, बिहार सरकार ने भी ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था।

इससे पहले कांग्रेस के मोतीलाल वोरा ने पूरक प्रश्न पूछते हुए सरकार से जानना चाहा कि जिस प्रकार सरकार के आदेश पर बिहार में 200 नीलगायों को गोली मारकर खत्म किया गया, उससे हमारे वन्यजीवों की सुरक्षा पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया है। इस पर दवे ने कहा कि 200 नीलगायों को गोली मारकर खत्म करने की खबर एक टीवी चैनल की रिपोर्ट से आयी है। किन्तु इसकी अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है।

दवे ने कहा कि वन्यजीवों के कारण फसल को होने वाली क्षति के कारण सरकार ने इस साल जनवरी में राज्यों के लिए एक परामर्श जारी किया था। उन्होंने कहा कि इसमें वन्यजीवों को गोली मारकर खत्म करने का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार एक वर्ष पूरा होने पर इस परामर्श की समीक्षा करेगी।

पर्यावरण मंत्री ने देश में वन्य पशुओं की संख्या कम होने के दावों से भी इंकार करते हुए कहा कि इनकी संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र एवं गुजरात में नील गाय, जंगली सुअरों और एक विशिष्ट श्रेणी के बंदरों के कारण फसलों को नुकसान होने की काफी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों के हितों को ध्यान में रखते हुए हमें दो बीघा जैसी छोटी जमीन पर खेती करने वाले किसानों की भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी छोटे किसान के लिए वन्यजीवों द्वारा उसकी फसल की तबाही वैसे ही है जैसे किसी के लिए उसके पुत्र या पुत्री की मृत्यु।

दवे ने बताया कि नीलगाय को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची तीन से अनुसूची पांच में डालने के बिहार सरकार के अनुरोध पर केन्द्र ने एक दिसंबर 2015 की एक अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम की धारा 62 के तहत नीलगाय को एक वर्ष की अवधि के लिए निर्दिष्ट क्षेत्रों में अनुसूची पांच में सूचीबद्ध किया है।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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