यह ख़बर 17 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

चौटाला ने किया नरमी बरतने का आग्रह, सीबीआई ने की अधिकतम सजा की मांग

खास बातें

  • ओम प्रकाश चौटाला ने दिल्ली की एक अदालत से अपने खराब स्वास्थ्य और वृद्धावस्था का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने का आग्रह किया लेकिन सीबीआई ने मामले के सभी 55 दोषियों के लिए अधिकतम सजा की मांग की।
नई दिल्ली:

हरियाणा में अवैध तरीके से 3,206 शिक्षकों की भर्ती करने के दोषी ठहराए गए पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत से अपने खराब स्वास्थ्य और वृद्धावस्था का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने का आग्रह किया लेकिन सीबीआई ने मामले के सभी 55 दोषियों के लिए अधिकतम सजा की मांग की।

चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1) (डी) और धारा 13(2) (लोकसेवकों द्वारा आर्थिक कदाचार) के तहत दोषी ठहराया गया है। इन धाराओं में अधिकतम सात साल और न्यूनतम एक साल की जेल की सजा का प्रावधान है।

अन्य दोषियों में जिला स्तरीय चयन समिति के अध्यक्ष और सदस्य हैं जिन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 467 के तहत दोषी ठहराया गया है। इस धारा में उम्र कैद की सजा का प्रावधान है।

सीबीआई के अभियोजकों आईपी वैद और एपी सिंह ने हालांकि सभी दोषियों के लिए विशेष सीबीआई न्यायाधीश विनोद कुमार से अधिकतम सजा की मांग की। उनका तर्क था कि यह आर्थिक अपराध का मामला है और व्यवस्था के खिलाफ है।

अदालत सजा का ऐलान 22 जनवरी को करेगी। इनेलोद के 78 वर्षीय अध्यक्ष चौटाला ने कहा कि वह मधुमेह के मरीज हैं, उनके दाहिने पैर में 70 फीसदी विकलांगता है और वह अन्य बीमारियों से भी पीड़ित हैं। चौटाला के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का साफ सुथरा रिकॉर्ड है और वह पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं तथा उन्होंने अगर कुछ भी गलत किया है तो जनता उन्हें वोट नहीं देगी।

वकील ने कहा ‘चौटाला और अजय चौटाला सार्वजनिक हस्ती हैं और दोषी ठहराए जाने तथा तिहाड़ जेल भेजे जाने के बाद उनका राजनीतिक करियर पहले ही धूमिल हो चुका है। इसलिए उन्हें सजा सुनाए जाते समय नरमी बरतनी चाहिए।’

अभियोजकों ने कहा कि दोषियों ने जो अपराध किया वह देश के हितों के खिलाफ है और चूंकि वह सार्वजनिक हस्ती हैं इसलिए समाज को कड़ा संदेश जाना चाहिए।

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चौटाला, उनके पुत्र अजय चौटाला तथा दो आईएएस अधिकारियों विद्याधर और संजीव कुमार सहित 53 लोगों को शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत ने 12 साल पहले 3,206 कनिष्ठ शिक्षकों की अवैध भरती के लिए भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों का दोषी ठहराया तथा तिहाड़ जेल भेज दिया।