छोटा राजन को उसी के पुराने साथी ने पहुंचाया सलाखों के पीछे

छोटा राजन को उसी के पुराने साथी ने पहुंचाया सलाखों के पीछे

छोटा राजन का दिल्ली में बना फर्जी पासपोर्ट।

मुंबई:

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की मुखबिरी किसी और ने नहीं बल्कि खुद उसके अपने पुराने साथी ने की। उसी ने 7 महीने पहले सिडनी में बने राजन के नए फर्जी पासपोर्ट का पता लगाया और फिर उसके बाद राजन पर शिकंजा कसना शुरू हो गया।

फर्जी पासपोर्ट की पोल खुली और गिरफ्तार हो गया
सूत्रों की मानें तो मुखबिरी  करने वाला कोई और नहीं खुद राजन का करीबी गुर्गा है, जिस पर मुंबई में कई अपराधिक मामले चल रहे हैं। उसी ने मोहन कुमार के नाम से बने राजन के फर्जी पासपोर्ट की पोल खोली। उस फर्जी पासपोर्ट के हाथ में आते ही राजन के खिलाफ नया रेडकॉर्नर नोटिस जारी हुआ और 25 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया से बाली पहुंचते ही एयरपोर्ट पर छोटा राजन धर लिया गया।

छोटा राजन का फर्जी पासपोर्ट सिडनी में सन 2008 में बना था। उस पर पहला शक 5 साल बाद 2013 में हुआ। बताया जाता है कि तब ऑस्ट्रेलिया पुलिस का डिटेक्टिव माइकल ऐलेन उसके घर भी गया था लेकिन उसे सफलता नहीं मिली पाई। उसके बाद छोटा राजन ने अपना ठिकाना बदल दिया था।   

दिल्ली में भी बना था राजन का एक फर्जी पासपोर्ट
एनडीटीवी के हाथ छोटा राजन का एक और फर्जी पासपोर्ट लगा है।  दिल्ली में बने इस पासपोर्ट में नाम तो राजेश मोरे का है लेकिन फोटो छोटा राजन की लगी है। दिल्ली में शिव विहार, गोकुलपुरी के पते पर बने इस पासपोर्ट में राजेश मोरे का जन्म पुणे में लिखा गया है। सन 1998 में जारी यह पासपोर्ट 2008 तक वैध है। इसका मतलब है सिडनी से नया फर्जी पासपोर्ट बनवाने के पहले तक राजन दिल्ली से बने इसी फर्जी पासपोर्ट पर सफर करता रहा। हैरानी की बात है कि दिल्ली में यह पासपोर्ट तब बना जब छोटा राजन विदेश में छिपा बैठा था। दस्तावेजों में राजन के अंगूठे के निशान भी हैं।

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पता चला है 2003 से 2004 तक छोटा राजन जिम्बाब्वे के हरारे में रहा उसके बाद उसने ऑस्ट्रेलिया को अपना ठिकाना बना लिया। वैसे राजन पर नजर साल 2011 से ही रखी जा रही थी। एजेंसियों के रडार पर राजन से फोन पर बात करने वाले कुछ लोग आए भी जिसमें कुछ पुलिस वाले और उत्तर प्रदेश की जेल में बंद एक डॉन भी है, लेकिन तब राजन का लोकेशन नहीं मिला पाया था।