यह ख़बर 23 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'दया याचिकाओं पर फैसले के लिए कोई समय सीमा नहीं'

खास बातें

  • चिदंबरम ने कहा कि संविधान की धारा 72 के तहत दया याचिकाओं पर फैसला करने की खातिर राष्ट्रपति के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
New Delhi:

सरकार ने मृत्युदंड की सजा प्राप्त दोषियों की दया याचिकाओं पर फैसला करने के लिए कोई समय सीमा तय करने से इनकार करते हुए कहा कि यह सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारी के अधिकार के इस्तेमाल का मामला है जो भारत की राष्ट्रपति हैं। गृहमंत्री पी चिदंबरम ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि संविधान की धारा 72 के तहत दया याचिकाओं पर फैसला करने की खातिर राष्ट्रपति के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। उन्होंने भाजपा के एसएस अहलूवालिया के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा इस प्रक्रिया में बदलाव का हमें कोई कारण नजर नहीं आता। यह सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारी के अधिकार के इस्तेमाल का मामला है जो भारत का राष्ट्रपति है। उनके लिए कोई समय सीमा तय करना उचित नहीं होगा। चिदंबरम ने कहा कि वर्ष 2008 में गृह मंत्रालय का प्रभार ग्रहण करने के बाद से दया याचिकाओं पर फैसले के लिए उन्होंने जो प्रक्रिया अपनाई है उसके परिणाम सामने आए हैं जिसकी वजह से उन्हें नहीं लगता कि कोई समय सीमा तय की जानी चाहिए। शिवसेना के मनोहर जोशी ने कहा कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को मौत की सजा सुनाई गई लेकिन उसकी दया याचिका पर फैसला करने में इसलिए विलंब हो रहा है क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय का है। इस पर सत्तापक्ष और वामदलों के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com