CAA के पांच आलोचकों के साथ बहस के मेरे सुझाव को स्वीकार क्यों नहीं कर रहे प्रधानमंत्री : चिदंबरम

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने सीएए के पांच आलोचकों के साथ खुली बहस करने के सुझाव को स्वीकार क्यों नहीं किया.

CAA के पांच आलोचकों के साथ बहस के मेरे सुझाव को स्वीकार क्यों नहीं कर रहे प्रधानमंत्री : चिदंबरम

पी चिदंबरम (फाइल फोटो)

खास बातें

  • पी चिदंबरम का सरकार पर हमला
  • प्रधानमंत्री बहस की चुनौती स्वीकार क्यों नहीं करते हैं- पी चिदंबरम
  • अमित शाह ने राहुल गांधी को बहस की दी थी चुनौती
नई दिल्ली:

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने सीएए के पांच आलोचकों के साथ खुली बहस करने के सुझाव को स्वीकार क्यों नहीं किया. चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने सुझाव दिया था कि प्रधानमंत्री को पांच सबसे मुखर आलोचकों का चयन करना चाहिए और उनके साथ सवाल जवाब करने चाहिए. प्रधानमंत्री या सरकार सुझाव स्वीकार क्यों नहीं करते?''उन्होंने कहा, ‘‘सीएए-एनपीआर के पांच आलोचक प्रधानमंत्री से बहस कर लें. इसका सीधा प्रसारण किया जाए. उसके बाद लोगों को उनके निष्कर्ष निकालने दीजिए.''

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून  का देशभर में विरोध हो रहा है. कई राज्यों में छात्र व विपक्षी दलों के नेता इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. मोदी सरकार इस कानून को वापस लेने से साफ इंकार कर चुकी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि सरकार किसी भी सूरत में इस कानून को वापस नहीं लेगी. गृह मंत्री ने इस बिल पर बहस के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनौती भी दे डाली थी. बहस के मुद्दे पर पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम  ने अमित शाह को जवाब दिया था.

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तिरुवनंतपुरम में एक रैली को संबोधित करते हुए पी. चिदंबरम ने कहा था, 'अमित शाह थोड़ा सा पीछे देखें और राज्यसभा और लोकसभा में हुई डिबेट सुनें. उन्होंने इस कानून से जुड़े एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया था और अब वो राहुल गांधी को इस मुद्दे पर डिबेट के लिए चैलेंज कर रहे हैं. इस कानून से जुड़ी हर बात गलत है.' मोदी सरकार पर नागरिकता बिल को जल्दबाजी में पास कराने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था, '8 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी मिली. 9 दिसंबर को उन्होंने इसे लोकसभा में पेश कर दिया और दोपहर 12 बजे ये सदन से पारित हो गया. 11 दिसंबर को इन्होंने इस बिल को राज्यसभा में पेश किया और ये वहां से भी पारित हो गया. केंद्र सरकार ने इस बिल को तीन दिनों में पारित करवा लिया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)