Chinmayanand Case: पीड़िता को मिली राहत, अग्रिम जमानत पर 26 सितंबर को सुनवाई; जबरन वसूली मामले में SIT ने लिया था 'हिरासत' में

Chinmayanand Case: BJP के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री चिन्मयानंद (Chinmayanand) पर रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता को 'राहत' मिली है.

खास बातें

  • शाहजहांपुर कोर्ट से छात्रा को फौरी राहत
  • पीड़िता की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर
  • पीड़िता पर फिरौती मांगने का आरोप

Chinmayanand Case: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय राज्य गृहमंत्री चिन्मयानंद (Chinmayanand) पर रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता को शाहजहांपुर की कोर्ट से 'राहत' मिली है. पीड़िता की अग्रिम जमानत पर 26 सितंबर को सुनवाई होगी. बता दें कि जबरन वसूली के मामले में पूछताछ के लिए पीड़िता को एसआईटी ने हिरासत में ले लिया था. यूपी पुलिस के सूत्रों ने बताया कि कानून की पढ़ाई कर रही पीड़िता को पूछताछ के लिए पुलिस अपने साथ लेकर गई है. साथ ही पीड़िता ने गिरफ्तारी से छूट के लिए शाहजहांपुर की स्थानीय कोर्ट में अपील की थी. सूत्रों के मुताबिक जब पीड़िता अपनी याचिका कोर्ट में लगाने के लिए जा रही थी तो पुलिस ने उसे रास्ते में रोका और अपने साथ ले गई. बता दें, पुलिस ने पीड़िता के खिलाफ जबरन वसूली का मामला भी दर्ज किया है.

बता दें  कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामले में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली शाहजहांपुर की पीड़ित छात्रा की अर्जी पर किसी भी तरह की राहत देने से सोमवार को इनकार कर दिया था.

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उधर, शुक्रवार को गिरफ्तार हुए चिन्मयानंद को सोमवार को शाहजहांपुर जेल से लखनऊ के एक अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हृदय संबंधी समस्याओं के लिये एंजियोग्राफी की गई. मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सीलबंद लिफाफे में दो न्यायाधीशों की पीठ को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. 

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न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति रानी चौहान की पीठ ने इस मामले में अब तक की जांच पर संतोष जताया और आगे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 22 अक्टूबर, 2019 की तारीख तय की. चिन्मयानंद से कथित तौर पर जबरन वसूली का प्रयास करने को लेकर एसआईटी के उसके खिलाफ मामला दर्ज करने और तीन लोगों को गिरफ्तार करने के बाद पीड़ित छात्रा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी. हालांकि, अदालत ने कहा, ‘यदि पीड़ित छात्रा इस संबंध में कोई राहत चाहती है तो वह उचित पीठ के समक्ष नयी याचिका दायर कर सकती है.'

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