यह ख़बर 14 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

हेलीकॉप्टर सौदे पर सरकार ने दी सफ़ाई, कहा- ब्रजेश मिश्रा ने बदलवाए मानदंड

खास बातें

  • रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि टेंडर की शर्तों में 2003 में बदलाव हुए, जब बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार सत्ता में थी और ब्रजेश मिश्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे।
नई दिल्ली:

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि टेंडर की शर्तों में 2003 में बदलाव हुए, जब बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार सत्ता में थी और ब्रजेश मिश्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे।

वहीं, बीजेपी का कहना है कि ब्रजेश मिश्रा ने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी की सलाह पर बदलाव की मांगें की थीं, क्योंकि जिन वीवीआईपी लोगों के लिए ये हेलीकॉप्टर खरीदे जाने थे, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी पर ही है।

बीजेपी का यह भी कहना है कि हेलीकॉप्टर के सौदे पर 2010 में हस्ताक्षर हुए, जिस वक्त कांग्रेस नीत यूपीए सरकार सत्ता में थी और इसलिए सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और सौदे से फायदा उठाने वाले लोगों के नाम जाहिर करने चाहिए।

इस बीच, सरकार ने इस कंपनी को होने वाले बकाया तकरीबन 24 सौ करोड़ रुपये के भुगतान पर फिलहाल रोक लगा दी। यह रोक तब तक लगी रहेगी जब तक सीबीआई जांच के परिणाम नहीं आते।

दरअसल, हेलीकॉप्टरों के सौदे में कथित घोटालों को लेकर छिड़े विवाद के बीच यह बात भी सामने आई है कि 2003 में टेंडर की गुणात्मक जरूरतों में बदलाव किया गया था। बदलाव के समय एनडीए सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस रक्षामंत्री थे। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि फर्नांडिस के कार्यकाल में 3600 करोड़ रुपये के सौदे की अवधारणा बनी थी। साथ ही 2003 में एयर स्टाफ गुणात्मक जरूरतों (एसक्यूआर) में बदलाव किए गए।

अधिकारियों ने कहा कि निविदा जरूरतों में यह बड़ा बदलाव भी किया गया कि एयर सीलिंग को 18 हजार फुट से बदलकर 15 हजार फुट कर दिया गया। आरोप है कि यह बदलाव इसलिए किया गया, ताकि इतालवी हेलीकॉप्टर दौड़ में बना रह सके।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

फर्नाडिंस अक्टूबर, 2001 से मई, 2004 तक रक्षामंत्री थे, जबकि 2003 में एयर चीफ मार्शल एके कृष्णास्वामी वायुसेना प्रमुख थे।